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उसने नियमा पाठ, वर्तमान में नहीं, भविष्यमें करेगा के आठ करेगा।
व्यंतर ज्योतिषीका अलावा २४ दंडक पर असुरकुमारकी माफक कह देना
सौधर्म देवलोकसे नौप्रवेक तकके एक एक देवता कितनी द्रव्येंद्रियां करेगा ? असुरकुमारके माफक परन्तु इतना विशेष है कि विजयादिक वैमानमें भूतकाल किसीने करी, किसी ने नहीं करी, जिसने करी है तो ( करी है. वर्तमान नहीं, भविष्यमें साठ या सोलह करेगा और सर्वार्थसिद्ध वैमानमें भूतकाले नहीं, वर्तमाने नहीं, भविष्यमें करेगा तो पाठ करेगा। ___ एकेक विजय वैमानका देवत्ता नारकीपणे भूतकाल द्रव्येंद्रिय अनंती की, वर्तमान नहीं, भविष्य नहीं करे, एवं यावत् पांचेंद्रिय तियंच तक । मनुष्यपणे भूतकाल अनंती, वर्तमान नहीं, भविध्यमें नियमा-करेगा स्यात् (-१६-२४ संख्याती । वाणव्यतर ज्योतिषीमें भूतकाले अनंती, वर्तमाने और भविष्यमें नहीं ।
सौधर्म देवलोकपणे भूतकालमें अनंती, वर्तमान नहीं, भविष्यमें करेगा तो ८-१६-२४ संख्याती एवं यावत् नौवेक तक समझना. विजयादि ४ अनुत्तर वैमानपणे भूतकालमें करी हो तो भविष्यमें करेगा तो आठ । सर्वार्थसिद्धपणे भूत और वर्तमानमें नहीं । भविष्यमें करेगा तो आठ करेगा. इसी माफक विजयन्त व जयन्त, अपराजीत ।