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(५) " की उ० " वि० (३) औदारिक श० असं० गु. (६) औदारिकी " " सं.गु० (४) तेजस कारमण आपस (७) वैक्रियकी " " " में तल्य और अनंत गु. (८) तेजसकार्मण' " असं• गुरु
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।
थोकडा नं. ११३
श्री भगवती सूत्र श० १९ उ०३
(अवगाहना अल्पा०) (१) सबसे स्तोक सुक्ष्म निगोद के अपर्याप्ताकी जघन्य अवगाहना (२) सुक्ष्म वायुकायके अपर्या० की ज० अव० असं० गु० (३) सुक्ष्म तेउ० (४) सुक्ष्म अप्प
(५) सुक्ष्म पृथ्वी : (६) बादर वायु०
" , " (७) बादर तेउ० (८) वादर अप्प० " " " " " (९) बादर पृथ्वी० , " " " " (१०) बादर निगोद . , , , " " . (११) प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिके अप० ज० अव० असं० गु० (१२) सुक्ष्म निगोद पर्या० की ज. अव० असं० [. (१३) सुक्ष्म निगाद अप० की उत्कृष्ट अव० वि० (१४) , पर्या० की " , " .