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औदारिककी भजना आहारक नहीं । आहारको वैक्रिय नहीं शेष ३ शरीरकी नियमा। तेजसमें कार्मणकी नियमा। कामणमें तेनसकी नियमा बाकी तीन शरीरकी भजना।
(५) द्रव्य द्वार--औदारिक वैक्रिय शरीरका द्रव्य असं. ख्याते असंख्याते है । आहारक० संख्याते। तेजस कार्मणका अनंते अनन्ते है।
(६) प्रदेश द्वार--प्रदेश पांचो शरीरोंके अनन्ते अनन्ते है।
(७) द्रव्यकी अल्पाबहुत्व द्वार--सबसे स्तोक आहारक शरीरके द्रव्य, धैक्रिय शः द्रव्य असं० गु० औदारिक श. द्रव्य असं० गु० तेजस कार्मण परस्पर तुल्य अनं० गु०।।
(८) प्रदेशका अल्पा बहुत्व- सर्वसे स्तोक आहारक शरीरका प्रदेश, । वक्रिय श०प्र० अस० गु० । औदारिक श० प्र० असं० गु० । तेजस श० प्र० अनं० गु० कार्मण श० प्र० अनं० गु०।
(६) द्रव्य प्रदेशकी अल्पा बहुत्व-- (१) सबसे स्तोक आहारक शरीरका द्रव्य (२) वैक्रिय श० का द्रव्य असं० गु० (३) औदारिक श का द्रव्य असं० गु० (४) आहा. रिक श० का प्रदेश अनं० गु. (५) वैक्रिय श० का प्रदेश असं० गु० (६) औदारिक श का प्रदेश असं० गु० (७) तेजस कार्मण श० द्रव्य अनन्त गु०१८) तेजस श० प्रदेश अनं. गु. (९) कार्मण श० प्रदेश अनं० गु०
(१०) स्वामी द्वार--औदारिक श० का स्वामी मनुष्य तीर्यच वैक्रिय श० का स्वामी चारों गतीके जीष । आहारक श. के स्वामी चौदह पूर्वधर मुनि । तेजस कारमण का स्वामि चारों गति के जीव होते है।