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शीघ्रबोध भाग ५ वा.
भांगा दो पावे. पहिला और तीसरा. शेष ३१ बोलों में चारों भांगा पावे. ॥ चार अनुत्तर विमानों के देवताओं में पूर्वोक्त २६ बोलोमें भांगा चारों पाधे ।। सर्वार्थ सिद्ध विमानके देवताओं में पूर्वोक्त २६ बोलो में भांगा ३ पावे. दुसरा, तीसरा, और चौथा.
पृथ्वीकाय, अप्पकाय, और वनस्पतिकाय के जीवों में पूर्वोक्त २७ बोलो में से तेजोलेशी, में भांगा एक पावे. तीसरा शेष २६ बोलों के जीव चारों भांगो से आयुष्य कम बांधे ॥ तेजसकाय और वायुकाय के जीवो के पूर्वोत्त २६ बोलो में भांगा २ पावे पहिला और तीसरा। तीनों विकलेन्द्री जीवों के पूर्वोक्त ३१ बोलों में से सज्ञानी. मतिज्ञानी. धृतज्ञानी, और सम्यकदृष्टि इन चार बोलों के जीवों में भांगा तीसरा पावे शेष २७ बोलो में मांगा २ पहिला और तीसरा.
तीर्यच पंचेन्द्री जीवों के पूर्वोक्त ३५ बोलों में से कृष्णपक्षी में भांगा २ पहिला और तीसरा. मिश्रदृष्टि में दो भांगा तीसरा और चौथा. और सज्ञानी, मतिज्ञानी, श्रुतज्ञानी तथा अवधिज्ञानी और सम्यकदृष्टि में भांगा ३ पावे पहिला, तीसरा, और चौथा. शेष २८ बोलों में भाँगा चारों पावे.
मनुष्य के दंडक में पूर्वोक्त ४७ बोलों में से कृष्णपक्षी में भांगा दो पावे. पहिला और तीसरा. मिश्रदृष्टि, अधेदी. और अकषाइ में मांगा दो पावे तीसरा और चौथा. अलेशी, केवली, और अजोगी मे एक भांगा चौथा, नोसंज्ञा, चार ज्ञान, सज्ञानी और सम्यकदृष्टि में तीन भांगा पहिला तीसरा और चौथा. शेष तेतीस बोलो में मांगा चारो पावे.
इस छव्वीसवे शतक के प्रथम उद्देशाका जितना विस्तार किया जाय उतना हो सक्ता है परन्तु ग्रन्थ बढजाने से कंठस्थ करणा में प्रमाद होने के कारण से यहां संक्षेप में वर्णन किया है. इस को कंठस्थ कर विस्तार गुरुगम से धारों. इति ॥