________________
( ३०४ )
शीघ्रबोध भाग ५ वा.
शरीरके अन्दर खींचना उसे श्वास कहते है और शरीर के अन्दरकी हवा बाहर छोडना उसे निश्वास कहते है ।
आतपनाम - इस प्रकृतिके उदयसे स्वयं उष्ण न होनेपर भी दुसरोंको आतप मालुम होते है यह प्रकृति 'सूर्य' के बैमानके जो बादर पृथ्वीकाय है उनके शरीरके पुद्गल है वह प्रकाश करता है, यद्यपि अग्निकाय के शरीर भी उष्ण है परन्तु वह आतप नाम नही किन्तु उष्ण स्पर्श नामका उदय है ।
उद्योतनाम - इस प्रकृतिके उदयसे उष्णता रहीत - शीतल प्रकृति जेसे चन्द्र ग्रह नक्षत्र तारोंके वैमानके पृथ्वी शरीर है तथा देव और मुनि वैक्रिय करते है तब उनोंका शितल शरीर भी प्रकाश करता है । आगीया- मणि - औषधियों इत्यादिको भी उद्योत नामकर्मका उदय होता है ।
अगुरुलघुनाम - जीस जीवोंके शरीर न भारी हो कि अपने से संभाला न जाय न हलका हो कि हवामें उड जावे याने परिमाण संयुक्त हो शीघ्रता से लिखना हलना चलनादि हरेक कार्य कर सके उसे अगुरुलघु नाम कहते है ।
जिननाम -- जिस प्रकृतिके उदय से जीव तीर्थंकर पद को प्राप्त कर केवलज्ञान केवलदर्शनादि ऐश्वर्य संयुक्त हो अनेक भव्यात्माका कल्याण करे ।
निर्माणनाम - जिस प्रकृतिके उदय जीवोंके शरीर के अंगोपांग अपने अपने स्थानपर व्यवस्थित होते हो जेसे सुतार चित्रकार, पुतलोयोंके अंगोपांग यथास्थान लगाते है इसी माफीक यह कर्म प्रकृति भी जीवोंके अवयव यथास्थान पर व्यवस्थित बना देती है ।
उपघातनाम -- जिस प्रकृतिके उदयसे जीवों को अपने ही