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शीघ्रबोध भाग ३ जो.
[६] पांचेन्द्रिय वि० [७] चोरिन्द्रिय वि० [ ८ ] तेइन्द्रिय वि० [ ९ ] बेइन्द्रिय वि० [१०] सकाय वि० [ ११ ] ते काय असंख्यात गुणे [ १२ ] पृथ्वीकाय वि० [१३] अपकाय वि० [१४] वायुकाय विशेष: [१५] वनास्पतिकाय अनंतगुणे [ १६ ] एकेन्द्रिय विशेषः [ १७ ] नपुंसक जीव विशेषः [ १८ ] तीर्थचजीव विशेषः ।
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सर्व स्तोक पांचेन्द्रियके लद्धिये [ २ ] चोरिन्द्रियके लद्धिये विशेषः [ ३ ] तेइन्द्रियके लखिये वि० [ ४ ] बेइन्द्रियके लद्धिये वि० [५] तेउकायके लडिये असं० गु० [६] पृथ्वोकायके ल जिये वि० [७] अपकायके लद्धिये वि० [८] वायुकायके ल. द्विये वि० [९] अभव्य के लद्धिये अनंतगुणे [१०] परत ससारी नीवोंके लद्धिये अनंतगुणे [११] शुक्लपक्षी विशेषः [ १२-१३ ] सिद्धोके लद्धिये और संसार के अलद्धिये आपस में तूला और अनंतगुणे [ १४ ] वनस्पतिकायके अलद्धिये विशेषः [ १५ ] भव्य जीवोंके अलद्धिये विशेषः [ १६ ] परत्तजीवोके अलजिये वि० [ १७ ] कृष्णपक्षीके अलद्धिये वि० [१८] वनस्पतिके लद्धिये अनंतगुणे [ २९ ] कृष्णपक्षीके लद्धिये वि० [२०] अपरत्तजी.
के लद्धये वि० [२१] भव्यजीवोंके लद्धिये वि० [ २२-२३ ] संसारी जीवोंके लखिये और सिद्ध के अलद्धिये आपस में तूला वि० [ २४ ] शुक्लपक्षी अलद्धिये वि० [ २५ ]परतजीवोंके अलद्विये वि० [ २६ ] अभव्यजीवोंके अलद्धिये वि० [ २७ ] वायुकाय अलद्धिया वि० [ २८ ] अपकायके अलद्धिये वि० [ २९ ] पृथ्वीका अलद्धिये वि० [३०] तेडकायके अलद्धिये वि० [३१] बेइन्द्रियके अलद्धिये वि० [३२] तेइन्द्रिय के अलखिये वि० [ ३३ ] चोरिद्रियके अलद्धिये वि० [ ३४ ] पांचेंद्रिय के अलद्धिये विशेषाधिकार इति ।
इति शीघ्रबोध भाग तीजो समाप्तम्
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