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द्वितीयो गगविवेकाध्यायः री गा मा मा गा री री री स क ल सु र न मि त मा गा री मा गा
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म सु र सु र ज यि ८. मा गा मा मा री री री री
न म जे यं इत्याक्षिप्तिका।
इति पञ्चमपाडवः।
गुर्जरी
तज्जा गुर्जरिका मान्ता रिग्रहांशा ममध्यभाक् । रितारा रिधभूयिष्ठा शृङ्गारे ताडिता मता ॥ ८९ ।।
इति गुर्जरी। (सं०) गुर्जरी लक्षयति-तज्जेति । मध्यमोऽन्तो न्यासो यस्याम् ।
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