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________________ . भूमिका एमागवार्तिक ( पंजिका) टीका रक्खा । - न्यायबिन्दुटीका (धर्मकीर्तिका न्यायबिन्दु ), हेतुबिन्दु (धर्मकीर्विका ) टीका, वादन्याय (धर्मकीर्तिकृत ) व्याख्या, सम्बन्धपरीक्षा (धर्मकीर्तिकृत ) टीका, आलम्बनपरीक्षा (दिग्नागकृत । टीकाऔर सन्तानान्तरसिद्धि (धर्मकीर्तिकृत) टीकाके कर्ता विनीतदेव ( लगभग ७०० ई०) राजा गोविन्दचन्द्र के पुत्र राजा ललितचन्द्र के समयमें नालन्दमें रहते थे । धर्मकीर्तिका मृत्यु भी गोविन्दचन्द्र के समय में हुई थी। गोविन्दचन्द्र के पिता विमलचन्द्रका विवाह भर्तृहरि ( जो मालवेके पाचीन राजवंशके थे । ) की बहिनले हुआ था। यदि हम भर्तृहरि और इस नामके वैयाकरणीको जो ६५१ या ६५० ई० में परलोक गये एक ही व्यक्ति मानले तो हम उनके समकालीन गोविन्दचन्द्रको ७ वीं शताब्दीके मध्यमें रख सकते हैं। धर्मकीर्तिकी मृत्युका भी यही समय है। इससे परिणाम निकाला जा सकता है कि गोविन्दचन्द्र के पुत्र ललितचन्द्र ७ वीं शताब्दीके अन्तमे हुए होंगे। अतएव ललितचन्द्र के समकालीन विनीतदेव भी उसी समय हुए होंगे। क्योंकि यह विचार धर्मकीर्तिके समयसे भी मिलता है (जिसकी उसने टोका की थी।) ... रविगुप्त ( लगभग ७२५ ई०.) काश्मीरमें उत्पन्न हुए थे। यह वारेन्द्र के गजा भर्षके समकालीन थे और न्यायमंजरीकार जयन्तसे पूर्व उत्पन्न हुए थे।ये अवश्य ही सातवीं शताब्दीके पूर्व में रहे होंगे। क्योंकि उनका शिल्य प्रसिद्ध तांत्रिक साधु सर्वज्ञ भित्र उस शताब्दी के मध्यमें था । गुप्त सम्बत् ४३५ ( ७५४ ई० ) में वसन्तसेनके लेखोंमें उनको सर्वदण्डनायक और महापुतिहार कहा गया है । उन्होंने धर्मकीर्तिके पमाणवर्तिक पर प्रमाणवार्तिक वृत्ति बनाई थी। विशालामलवती नाम प्रमाण समुच्चयटीकाके लेखक जिनेन्द्रवोधि (लगभग ७२५ ई०) थे । सम्भवतः यह वही व्यक्ति हैं जिन्होंने ८ वीं शताब्दीने पाणिनि व्याकरणके ऊपर प्रसिद्ध न्यास लिखा था। शान्तरक्षित ( ७४९ ई.) जहूर (बंगालमें या लाहोरके पास) के राजवंशमें उत्पन्न हुए थे। यद्यपि इनका समय अनिश्चित ही है तथापि यह कहा जाता है कि वह गोपाल (जिसने ७२५ ई० तक राज्य किया ) के समयमें जन्मे और धर्मपाल ( जो ७६५ में राजा हुआ) के समयमे मरे थे। वह स्वतन्त्र माध्यमिक मतके अनुयायी और नालन्दके अध्यापक थे। यह राजा खीस्रानडीत्सानKhri-Sron.
SR No.034224
Book TitleNyayabindu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmottaracharya
PublisherChaukhambha Sanskrit Granthmala
Publication Year1924
Total Pages230
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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