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________________ छह प्रकार के मुख का अभिनय मुख के भेद भुग्न और उसका विनियोग १. ३. ४. 4. चार प्रकार के मुखराग का निरूपण १. २. मुखराग (मुख के भाव ) के मंद स्वाभाविक और उसका विनियेग प्रसन्न और उनका विनियोग रक्त और उसका विनियोग श्याम और उसका विनियोग बीस प्रकार के पाणि, गुल्फ और हस्तांगुलि निरूपण पाणि (एडी) के भेद बहिर्गता मियोयुक्ता वियुक्ता अंगुलिसंगता उत्क्षिप्ता पतितोत्क्षिप्ता ३. ४. १. २. ३. ४. ६. ७. ८. उद्वाहि और उसका विनियोग विवृत और उसका विनियोग विद्युत और उसका विनियोग विनिवृत और उसका विनियोग व्यभुग्न और उसका विनियोग १. २. ३. २८ पतिता अन्तर्गता नृत्याध्यायः गुल्फ (टखनों) के भेद मिथोयुक्त वियुक्त क्लिटांगुष्ठ श्लोक संख्या ५७४ ५७४ ५७५ ५७६ ५७७ ५७८ ५७९ ५८०-५८१ ५८२ ५८२ ५८३ ५८४ ५९० ५९० ५९० ५९० ५९० ५९० ५९० ५९० ५९० ५९१ ५९१ ५९१ ५९१ पृष्ठ संख्या १७५ १७५ १७५ १७५ १७५ १७५-१७ १७६ १७६ १७६ १७६ १७७ १७७ १७८ १७८ १७८ १७८ १७८ १७८ १७८ ૩૮ १७८ १७८ १७८ ? ૮
SR No.034223
Book TitleNrutyadhyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokmalla
PublisherSamvartika Prakashan
Publication Year1969
Total Pages514
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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