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________________ ३. सूचीविद्ध नृत्याध्यायः अर्धसूच्यथ विक्षिप्तमावर्त च निकुट्टकम् ऊरूद्वृत्तमथाऽऽक्षिप्तमुरोमण्डलसंज्ञकम् ] करिहस्तं कटीच्छिन्नं यत्रैतानि क्रमान्नव 1 सोऽङ्गहारोऽङ्गहारज्ञैः सूचीविद्धः प्रकीर्तितः ।। १३४३ ॥ 1421 १. अर्धसूची, २. विक्षिप्त, ३. आवर्त, ४. निकुट्टक, ५. ऊरूत्त, ६. आक्षिप्त, ७. उरोमण्डल, ८. करिहस्त और ९. कटीच्छिन -- जिसमें ये नौ करण प्रयुक्त होते हैं, उस अंगहार को, अंगहारों के ज्ञाताओं ने सूचीद्धि कहा है । ४. अपराजित ३५० 1420 करणं दण्डपादाख्यं प्रसर्पितम् । ततो व्यंसितं च निकुट्टकं चार्धनिकुट्टाक्षिप्तके ततः ॥ १३४४॥ 1422 उरोमण्डलसंज्ञ च करणं करिहस्तकम् । कटिच्छिन्नं च नवभिरेभिः स्यादपराजितः ।। १३४५॥ 1423 १. दण्डपाद, २. व्यंसित, ३. असर्पित, ४. निकुट्टक, ५. अर्धनिकट ६. आक्षिप्त, ७. उरोमण्डल, ८. करिहस्त और ९. कटिच्छिन्न -- जिसमें इन नौ करणों की रचना से अपराजित अंगहार का निर्माण होता है। ५. मदविलसित मदस्लखितमत्तल्लितल संस्फोटितानि चेत् । रचयेत् त्रिश्चतुः पञ्चकृत्वो वा चित्रितान्यथ ॥ १३४६ ।। 1424 निकुट्टो वृत्तके तु विदध्यात् करिहस्तकम् । कटिच्छिन्नं च सम्प्रोक्तो मदाद्विलसितस्तदा ॥ १३४७॥ 1425 मदस्खलित, मतास्लि और तलसंस्फोटित --इन करणों की तीन, चार या पांच बार रचना करके निकुट्टक, ऊत्त, करिहस्त और कटिच्छिन्न करणों को करने से मदविलसित अंगहार बनता है । ६. मत्तक्रीड भ्रमरं नूपुरं चैव भुजङ्गत्रासितं कृत्वा यदा । दक्षिणभागेन यत्र वैशाखरेचितम् ॥१३४८॥ 1426
SR No.034223
Book TitleNrutyadhyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokmalla
PublisherSamvartika Prakashan
Publication Year1969
Total Pages514
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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