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________________ नत्याध्यायः पृष्ठ संख्या ४२६ १४३ १४३ १४३-१४ . १४४ १४४-१४५ ४४५ १४५ दृष्टि प्रकरण | तीन श्लोक संख्या दृष्टि अभिनय और उनका विनियोग रसजा दृष्टि के भेद स्थायी भावना दुष्टि के भेद ४२७ संचारी भावजा दृष्टि के भेद ४२८-४३० आठ प्रकार की रसजा दृष्टियाँ कान्ता ४३१-४३२ हास्या और उसका विनियोग करुणा और उसका विनियोग रौद्री और उसका विनियोग ४३५ वीरा और उसका विनियोग ४३६-४३७ भयानका और उसका विनियोग बीभत्साऔर उसका विनियोग अदभुता और उसका विनियोग ४४० आठ प्रकार की स्थायी भावजा दृष्टियाँ स्निग्धा हृष्टा और उसका विनियोग दीना क्रुखा और उसका विनियोग ४४४ दृप्ताऔर उसका विनियोग भयान्विता जुगुप्सिता ४४७ विस्मिता और उसका विनियोग बीस प्रकार की संचारी भावजा दृष्टियाँ शून्या और उसका विनियोग ४४९ मलिना और उसका विनियोग ४५०-४५१ ४३८ ४३९ १४५-१४६ १४६ १४६ ४४१ ४४२ ४४३ १४६-१४७ १४७ ४४५ १४७ १४७ ४४८ १४७ १४७-१४८ १४८
SR No.034223
Book TitleNrutyadhyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokmalla
PublisherSamvartika Prakashan
Publication Year1969
Total Pages514
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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