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________________ नत्याध्यायः शरीर के आलिंगन और मुस्कराहट भरे नेत्र तथा उलूक गति (उद्विकसन) से पुरुष हर्ष का अभिनय करें। शीघ्रमुत्पन्नरोमाञ्चवाष्पसंरुद्धलोचना । भावं विनिर्दिशेत त्वेवं नर्तकी स्मितसंयुता ॥६५७॥ 654 तत्काल उत्पन्न हुए रोमांच, (हर्ष के) आँसुओं से अवरुद्ध दृष्टि और मुसकराहट द्वारा नर्तकी हर्ष के भाव को प्रकट करे। कोष निःश्वासेनाकम्पेन दशनेनाधरस्य च । क्रोधं निरूपयेद् धीमानुवृत्तारुणलोचनः ॥६५८॥ 655 उठे हुए लाल नेत्रों से, लम्बी साँस लेते हुए , शरीर को थर-थर कम्पाते हुए, दाँतों से अघरों को चबाते हुए, पुरुष क्रोष का अभिनय करे । चिबुकोष्ठप्रकम्पेन बाष्पपूर्णक्षणेन च । शीर्षस्य कम्पनेनापि भ्र कुटीरचनेन च ॥६५॥ अङगुलिस्फोटनान्मौनात स्रगालङ्कारवर्जनात् । प्रायतस्थानकस्था च रोषेर्पा निदिशेत स्त्रियाः ॥६६०॥ 657 ठोड़ी तथा ओठों को कम्पाते हुए, आखों को सांसू से भरकर, शिर को कम्पाते हुए, भौं सिकोड़ते हुए, उंगलियों को चटकाते हुए, मौन होकर, माला और आभूषण उतार कर, आयतस्थानक मुद्रा धारण कर स्त्रियाँ कोष तथा ईया का अभिनय करें। 656 अधिकोछ्वासनिःश्वसैरधौमुखविलोकनः विहायःप्रेक्षणाच्चापि नृणां दुःखं निदर्शयेत ॥६६१॥ 658 अत्यधिक निःश्वास और उच्छ्वास से युक्त मुख नीचा करके देखने और आकाश की ओर ताकने से पुरुष दुःख का भाव प्रकट करे। शिरोभिघातात् सध्वाने रौदनैरभिपाततः । भूमिघातादपि स्त्रीणां दुःखं धीमान् नियोजयेत् ॥६६२॥ 659 सिर पीटने, चिल्लाकर रोने, धरती पर गिरने और भूमि पर चोट करने से धीमान पुरुष स्त्रियों के दुःख को प्रकट करें। १९६
SR No.034223
Book TitleNrutyadhyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokmalla
PublisherSamvartika Prakashan
Publication Year1969
Total Pages514
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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