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________________ . अंग प्रत्यंग प्रकरण ३. प्रसारित और उसका विनियोग प्रसारितं मुदादौ तत्पार्श्वयोर्यत्प्रसारणात् ॥३३॥ यदि दोनों पाश्वों को फैला दिया जाय, तो उसे प्रसारित पार्श्व कहते हैं। हर्ष आदि अभिनय में उसका विनियोग होता है। . ४. नत और उसका विनियोग नतं तु न्यञ्चितस्कन्धनितम्बमुपसर्पणे ॥३३६॥ 347 यदि कन्धा और नितम्ब को झका दिया जाय तो उसे नत पार्श्व कहते हैं। किसी के पास ( कुछ वस्तु ) ले जाने के अभिनय में इस पार्श्व का विनियोग होता है। ५. उन्नत और उसका विनियोग । उन्नतं तद्विपर्यासाकथितं त्वपसर्पणे ॥३३७॥ . नत के विपरीत यदि कन्धा और नितम्ब को ऊपर उठा दिया जाय तो उसे उन्नत पार्श्व कहते हैं । भागने के अभिनय में इस पार्श्व का विनियोग होता है । पाँच प्रकार का कटि अभिनय कटि अभिनय के भेद कम्पितोद्वाहिता छिन्ना विवृत्ता रेचतापि च । 348 कटिः पञ्चविधा ज्ञेया वीरसिंहसुतोदिता ॥३३॥ अशोकमल्ल ने कटि के पांच प्रकार बताये हैं १. कम्पिता, २. उद्वाहिता, ३. छिन्ना, ४. विवृत्ता और ५. रेचिता। १. कम्पिता और उसका विनियोग पार्वे गतागते शीघ्रं दधती कम्पिता कटिः । 349 कुब्जादिगमनप्रोक्ताऽशोकमल्लेन भूभुजा ॥३३॥ यदि कटि को शीघ्रता से एक पार्श्व से दूसरे पार्श्व में ऊपर-नीचे कर दिया जाय, तो उसे कम्पिता कहते हैं । कुबड़े, बौने आदि की गति के अभिनय में इस कटि का विनियोग होता है । २. उवाहिता और उसका विनियोग पार्श्वद्वयेन या किञ्चिच्चलता तूपलक्षिता । 360 सोद्वाहिता कटी लीलागतेषु गविता स्त्रियाः ॥३४०॥
SR No.034223
Book TitleNrutyadhyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokmalla
PublisherSamvartika Prakashan
Publication Year1969
Total Pages514
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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