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प्रथमः ]
भाषाटीकासहितः ।
( १९ )
पांडुरोग आमवात नष्ट होवे पुष्टिकर्त्ता यह मधुपक्वहरीतकी है इसी प्रकार आंवले का पाक बनाना ॥ १-६ ॥
आमलापाक ( च्यवनप्राश )
शृङ्गीता मलकीफलचिकबलाच्छिन्नाविदारीसटीजीवंतीदशमूलचन्दन घनैर्नीलोत्पलैलावृपैः। मृद्रीकाष्टकवर्ग पौष्करयुतैः सार्द्ध पृथक्पालकै रंबुद्रोणशतानि पंचविपचेद्धात्रीफलानामतः ॥ १ ॥ उद्धृस्यामलकानि तैलघृतयोः षडूभिः पलैः संमिता भृष्टान्यर्द्धतुलां निधाय विधिवन्मत्स्यण्डिकायां पचेत् । शीते षण्मधुनापलानि कुडवा वंश्यश्वतुर्जातकं मुष्टिर्मागधिकापलद्वयमितः प्राश्यः स्मृतश्यावनः ॥ २ ॥ रक्तपित्ते क्षये क्षीणे कासे कुठे भ्रमे तृषि | आमलक्यादिकः पाको बलीपलितनाशनः ॥ ३ ॥
काकडासिंगी, तालीसपत्र, त्रिफला, खरेंटी, गिलोय, विदारीकन्द, कचूर, जीवंती ( डोडी ), दशमूल, चन्दन, भीमसेनी कपूर, कमल-गट्टा, इलायची, अडूसा, दाख, अष्टवर्ग, पुइकरमूल ये सब औषधि दो दो पल लेकर, पानी एक द्रोण (४०९६ टंक ) में आम लोंको औटावे पीछे निकालकर तेल और घृत दोनो छः पल लेकर इनमें आंवलोंको जुदे २ भूने पीछे ५ सेर मिश्री की चासनी कर उसमें आंवलोंको पाग लेवे जब शीतल होजावें तब छः पल शहद डाल और वंशलोचन, चातुर्जात, पीपल ये दो पळ डाले यह च्यवनप्राशाव
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