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________________ ( ४८ ) योगचिन्तामणिः । [ पाकाधिकारः डाले और खैरका गोंद १६ पल, गौके घी में भूनकर डाले इस प्रकार पाक बनाकर बल अबल देखकर इसकी मात्रा खानेको देवे तो सब धातु और जठराग्निको बढावे, बल करे वृष्य है, हृदयको हित है, अजीर्णज्वर, क्षय, श्वास, तापतिल्ली, पांडुरोग इन सबको यह पीपलपाक नष्ट करता है ॥ १-५ ॥ अर्द्धद्रोणे शुभे दुग्धे कणा प्रस्थार्द्धमेव च । दसंघट्टसान्द्रे तु खण्डप्रस्थद्वयान्विते ॥ १ ॥ वानरी मुशलीकन्दं चातुर्जात करोचना । करभोदेवकुसुमं मस्तकी करहाटकम् ॥ २ ॥ ग्रन्थिकं नागरं धान्यं सटी खदिरसारकम् । लोहं प्रत्येकक पैक मितानेतान्विचूर्णयेत् ॥ ३ ॥ घनसारार्द्धकर्षेण शीतले क्षौद्रकौडवम् । क्षिपेत्कणावलेहोऽयं प्रमेहाबलताक्षयान् ॥ ४ ॥ कासं श्वासं ज्वरं हिक्कां छर्दि मूर्च्छा भ्रमं जयेत् ॥५॥" २- पीपल १२८ टंक लेकर गौके ८१९२ टंक दूधमें औटावे जब गाढा हो जाय तब मिश्री ५१२ टंक लेकर चासनी कर पूर्वोक्त पीपल संयुक्त खोवाको डाले और इन औषधियों को और डाले - कौंच के बीज, मूसली, नागकेशर, तज, छोटी इलायची, पत्रज, वंशलोचन, कशेरु, लौंग, मस्तंगी, अकरकरा, पीपलामूल, सोंठ, धनियां, कचर, खैरसाल, इन सब औषधियोंको सोलह २ मासे डाले, भीमसेनी कपूर आठ मासे डालकर अवलेह बनालेवे, जब शीतल हो तब उत्तम शहद ६४ टंक डाले तो यह पीपलावलेह बनकर तैयार होवे | यह प्रमेह, निर्बलता, क्षय, खांसी, श्वास, हिचकी, वमन, मूर्च्छा और भ्रम इन सब रोगोंको दूर करे ॥ १-५ ॥ Aho ! Shrutgyanam
SR No.034215
Book TitleYog Chintamani Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkirtisuri
PublisherGangavishnu Shrikrishnadas
Publication Year1954
Total Pages362
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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