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________________ ( २८ ) योगचिन्तामणि: [ पाकाधिकारः- इस प्रकार बांधकर अच्छे हवादार मकान में रखदेवे क्योंकि, वर्षाऋतु में विना यत्नके रखने से जीव आदि पडजाते हैं ॥ १२ ॥ १३ ॥ -- पाके ग्राह्या सिता श्वेता विमला गुणकारिणी । समलां शोधयेद्यत्नाद्यावन्मलविनिर्गमः || १४ || समलां च सितां प्लाव्य कटा हे विरचेत्सुधीः । प्रक्षिपेत्सर्वतस्तत्र गोदुग्धं सजलं मुहुः ॥ १५ ॥ वस्त्रपूतक योगेन तदूर्ध्वस्थं मलं हरेत् । एवं पुनः पुनः कुर्याद्यावन्मलविनिर्गमः । पश्चात्पाकत्वमानीय प्रक्षिपेदौषधानि तु ॥ १६ ॥ इति प्रोक्तंमया किञ्चित्पाकशासनमुत्तमम् । अन्यत्सर्वं भिषग्वय्यैकतो ज्ञेयमेवतत् ॥ १७॥ पाक बनानेको सफेद और उत्तम खांड ( चीनी ) लेनी चाहिये । यदि उसमें मैल होय तो उसका शोधन इस प्रकार करे --मैलवाली खांडको कडाही चढाकर अंदाजसे उसमें जल डालकर औटावे, जब कुछ औट चुके तव पानी मिला दूध उसमें चारों तर्फ डाले, जब मैल चासनी के ऊपर आजाय तब एक पात्र पर दो लकडी रखकर उसमें छोटीसी डलिया रखकर उसमें बारीक कपडा बिछाकर पूर्वोक्त कडाही - मेंसे उस रसको निकालकर डलियामें डाले तो वह रस उस डलियामेंसे टपक टपक कर नीचेके पात्र में गिरे, उसको हलवाई बक्खर कहते हैं, उस खांडका मैल उस डलिया में रहजाता है, पीछे उस aratकी चासनी करे, उसमें पीसी हुई औषधी डालें, यह मैंने कुछ पाक बनानेकी विधि कही हैं और विशेष विधि लोकसे अर्थात् पाककर्ता हलवाई आदिसे जाननी चाहिये ॥ १४ - १७ ॥ Aho ! Shrutgyanam
SR No.034215
Book TitleYog Chintamani Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkirtisuri
PublisherGangavishnu Shrikrishnadas
Publication Year1954
Total Pages362
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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