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भाषाटीकासहितः ।
प्रहारोपरि लेपः । सर्जिका च हरिद्रा च प्रहारे लेपनं हितम् । टंकणं सर्पिषा लेपः कालमेषीजलेन वा ॥ १ ॥ सज्जी हलदी इन दोनों को पीसकर चोटपर लेप करनेमें आराम होवे. सुहागाको घीम मिलाय लगानेसे या मंजीठके पानीका लेप करनेसे चोट अच्छी होवे ॥ १ ॥
ग्रन्थ्युपरि लेपः ।
सप्तमः ]
( २९३ )
मरिचं पुष्करं कुष्ठं हरिद्रा सैन्धवं वचा । सर्वग्रन्थौ हितो लेपः खटिकालवणेन च ॥ १ ॥ मिरच, पोडकरमूल, कूठ, हलदी, सैंधानोन, वच इनको पीसकर लेप करनेसे सर्व अंगकी गाँठ दूर होवे अथवा खडिया नोन पानी में घिसकर गांठपर लेप करनेसे गांठ दूर होवे ॥ १ ॥
स्फोटिका ( फोडा ) यां लेपः । कृष्णाजाजी ब्रह्मदण्डी मरिचं रामपिप्पली | स्फोटिकायां हितो लेपः पानं वा तण्डुलांमसा ॥ १॥ काला जीरा, ब्रह्मदंडी, मिरच, पीपल इनको पीस लेप करनेसे फोडा आराम होवें वा चांवलोंक पानीक साथ इनको पीनेसे आराम होवे ॥ १ ॥
वातरक्ते लेपः ।
दूर्वा मूर्वा शठी शुंठी धान्यकं मधुयष्टिका । सुपिष्टं शीततोयेन रक्तवाते प्रलेपनम् ॥ १ ॥ दूर्वा, मूर्वा, सोंठ, धनियां मुलहठी इनको ठंढे पानी में घिसकर लेप करने से वातरक्त दूर होवे ॥ १ ॥
पादस्फोटोपरि लेपः ।
ललनास्तनदुग्धेन सिक्तं गुडघृतं मधु ।
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