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भाषाटीकासहितः ।
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लेवे इन सबको इकट्ठी पीसकर लेप करनेसे सिमकोट दूर होवे. आमला, केशर, सज्जी, जवाखार इनका चूर्ण कांजीमें मिलाकर लेप करनेसे सिध्म कोढ जाय । गंधक, जवाखार इनको कांजीमे मिलाकर लेप करनेसे सफेद कोढ जाय । ओंगाके रसमें मूलीके: बीज मिलाकर लेप करनेसे तत्काल सर्वांग सिध्मकोढ नाश होवे ॥ १-५ ॥ तारुण्यपीडिका
सप्तमः
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पः । रक्तचन्दनमंजिष्ठा लोध्रं कुष्ठं प्रियंगवम् । वटारा हरिद्वे द्वे व्यङ्गहा मुखकान्तिदः ॥ १ ॥ कुष्ठतिलजीरकद्वय सिद्वार्था निशः युगै समः पयसा । लेपो वदनसुधाकरव्यङ्गकलङ्कं विनाशयति ॥ २ ॥ वटस्य पाण्डुपत्राणि मालती रक्तचन्दनम् । कुष्टं कालीयकं लोधमेभिर्लेपो विधीयते ॥ ३ ॥ तारुण्यपिडिकाव्यंगनीलिकादिविनाशनम् ॥ ४ ॥
रक्तचन्दन मंजीठ, लोध, कूठ, प्रियंगु, वटके अंकुर, दोनो हलदी इनकी बराबर मात्रा दूधमं मिलाकर लेप करे तो मुखकी कांति बढे और झांईके दाग दूर होवें. कुठ, तिल, दोनों जीरे, सरसों, हल्दी, दारुहलदी, इनको दूधके साथ लेप करने से मुखकी झाँइयोंको दूरकर मुखको चंद्रमा के समान निर्मल करता है । वटके पत्ते, चमेली, रक्तचन्दन, कूठ, अगर लोध इनका लेप करने से जवानी अवस्थासे होनेवाले मुहाँसे तथा मुखकी झाईं और नीले दाग दूर होवें ॥ १-४ ॥
नासारुधिरे लेपः ।
आमलकं घृतभृष्टं पिष्टं कांजिकवारिभिः । जयेन्मूर्द्धप्रलेपेन रक्तं नासिकया स्नुतम् ॥ १ ॥
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