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चतुर्थः ]
भाषाटीकासहितः ।
( १७३ )
डरसोनदारुरजनी राजेन्द्रराजैः फलैः । त्रायंतीत्रिवृताहुताशननतानंतामृतासुत्रता दंती तुंबरिचित्रतण्डुलत्रुटित्वक्तिक्तनक्तंचरैः ॥ १ ॥ वासावासवबीजवासवसुरावल्यावरीवल्गुजात्राह्मी ब्राह्मणयष्टिवारणकणाविश्वावयस्थाविषा । मूर्वामालव कासमू - लमगधामुस्ताज्जमोदाद्वयं मिश्रा- आगरचन्दनेन्दु विकास्फोटायुता कट्फलैः ॥ २ ॥ इत्येतद्दशमूलयुङ् निगदितः काथश्चतुःषष्टिकःशृंग्यादिर्मथनादिसिंह विषजाशेषामयोन्मूलनः । पुंसामष्टविधज्वरार्तिशमने मन्दाग्निसंदीपने सर्वांगीणसमीरद्विपघटाशार्दूलविक्रीडितः ॥ ३ ॥
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Aho! Shrutgyanam
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काकडासिंगी, हींग, चिरायता, हलदी कुठ, संभालू, ब्राह्मी, रास्ना, एरण्ड, लहसन, दारूहल्दी, अमलतास, पटोल, त्रायमाण, निसोत, चीता, तगर, जवासा, गिलोय, कचूर, देती ( लताविशेष ), धनियां, वायविडंग, इलायची, तज, कुटकी, गूगल, अडूसा, इंद्रजौ, देवदारु, इंद्रायण, शतावर, असगंध, भारंगी, मुलहठी, गजपीपल, सोंठ, iकोल, अतीस, मरोडफली, कालीनिसोत, पीपलामूल, हरड, अजमोद, अजमायन, सौंफ, अगर, कपूर, चव्य, अफीम, कायफल इनमें दशमूलका काढा मिलाकर पीनेसे आठ प्रकारके ज्वर, मन्दाग्नि, सर्वांग वातरोग दूर होते हैं, जैसे सिंहनादसे हाथी दौडते हैं, तैसे यह रोगरूप हाथियोंमें शार्दूल है यों इस काढेको जानना चाहिये ॥ १-३ ॥