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________________ (१७२) योगचिन्तामणिः। क्वाथाधिकार: बालरोगे क्याथः। बिल्वं च पुष्पाणि च धातकीनां जलं सलोभ्रं गजपिप्पलीनाम् । क्वाथोऽवलीढो मधुना विमिश्री बालेषु योग्यो ह्यति सारितेषु ॥ १॥ बेलगिरी, धायके फूल, नेत्रवाला, लोध, गजपीपल इनका काढा शहदसंयुक्त पीनेसे बालकोंका अतिसार दूर होवे ॥ १ ॥ कासरोगे क्याथः। पुष्करं कट्फलं भाङ्गी विश्वपिप्पलिसाधितम् । पिबेत्क्वाथं कफे चैतत्कासे श्वासे च हृद्ग्रहे ॥१॥ पोहकरमूल, कायफल, भारंगी, सेठ, पीपल इनका क्वाथ करके पीनेसे कफ, खाँसी, श्वास और उदररोग ये सब दूर होवें ॥ १ ॥ शरपुंखायाः कल्कः पीतस्तकेण नाशयत्यचिरात् । चिरतरकालसमुत्थं प्लीहानं रूढमागाढम्॥१॥ क्षुद्राकुलत्थवासाभिनागरेण च साधितः । वाथः पुष्करचूर्णाढयः श्वासकासौ निवारयेत् । पानादेव हि पंचानां हिकानां नाशनं क्षणात् ॥२॥ शरफोंकेका काढा मटेके साय पीवे तो पुरानी प्लीहाभी दूर होजाय। कटेरी, कुलथी, अडूसा इनका काढा सोंठ संयुक्त कर पोहकरमूलका चूर्ण डालकर लेवे तो खांसी नाश होवे और पीते ही पांच प्रकारकी हिचकी दूर होय ॥ १-२ ॥ सर्ववायुविकारे शुण्ठ्यादिचतुःषष्टिक्वाथः । शृङ्गीरामठरामसेनरजनीरुग्वेणिकारोहिणीरानेर Aho! Shrutgyanam
SR No.034215
Book TitleYog Chintamani Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkirtisuri
PublisherGangavishnu Shrikrishnadas
Publication Year1954
Total Pages362
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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