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________________ चतुथः ] भाषाटीका सहितः । ( १५५ ) इनका काढ़ा कर पीने से सर्वांग सूजन, उदररोग और पांडुरोग दूर होवें ॥ १ ॥ पुनर्नवाभयानिम्बदावतिक्कापटोलकैः । गुडूचीनागरयुतैः क्वाथः सर्वाङ्गशोफहा ॥ १ ॥ गोमूत्रगुग्गुलयुत आमशोफोदरापहः ॥ २ ॥ २ - सांठीकी जड, हरड, नींबकी छाल, दारुहळदी, कुटकी, पटोलपत्र, गिलोय, सोंठ, इनका काढाभी सर्वांगसूजनका नाश करता है और गोमूत्र तथा गूगलयुक्त लव तो आमवात, शोफ और उदरके रोगोंको दूर करता है ॥ १ ॥ २ ॥ कफरोगे कट्फलादिक्वाथः । कट्फलांबुदभाङ्गभिर्द्धान्यरोहिपपर्पटैः । वचाहरीतकी शृंगी देवदारुमहौषधः । क्वाथः कासं ज्वरं हन्ति श्वासश्लेष्म गलग्रहान् ॥ १ ॥ कायफल, मोथा, भारंगी, धनियां, रोहिषतृण, पित्तपापडा, वच, हरड, काकडासिंगी, देवदारु, सोंठ इन औषधियोंका काढा कर पीवे तौ खांसी, ज्वर, श्वास, कफ, गलग्रह ये सम्पूर्ण रोग दूर हो जावें ॥ १ ॥ श्रृंग्यादिक्वाथः । शृंगी दारुनिशा सुराह्वमभया भाङ्ग च विश्वौषधं मुस्तापर्पट कट्फलं च सवचा कुस्तुंबुरुं कत्तृणम् । काथं क्षौद्रयुतं पिबेच्च कफजे कासे क्षये पीनसे श्वासे वातयुते ज्वरे च वमने हिक्कासु पित्तामये ॥ १॥ काकडासिंगी, दारुइलदी, देवदारु, हरड, भारंगी, सोंठ, मोथा, पित्तपापडा, कायफल, वच, धनियां, रोहिषटण इनका काढा शह Aho ! Shrutgyanam
SR No.034215
Book TitleYog Chintamani Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkirtisuri
PublisherGangavishnu Shrikrishnadas
Publication Year1954
Total Pages362
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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