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वसंतराजशाकुने- सप्तदशो वर्गः । ॥ टीका ॥
च नवम्यां च दशम्यां मरणं ध्रुवम् ॥ ३ ॥ एकादश्यां पुत्रलाभो द्वादश्यां धनसंपदः ॥ त्रयोदश्यां भवेद्धानी रत्नहानिः शिवाहनेि ॥ ४ ॥ पौर्णमास्याममाय बन्धुहानिर्धनक्षयः । सोमशुक्रबुधगुरुवाराः शुभकराः सदा ॥ ५ ॥
॥ इति तिथिवारफलम् ॥
अश्विनी क्षेममारोग्यं भरणी रोगमेव च । कृत्तिका धनहानिं च संपदो रोहिण मृगे ॥ ६ ॥ आर्द्रा मृत्युभयं कुर्यात्पुष्यश्चव पुनर्वसुः ॥ धनलाभं प्रकुरुते सार्पे च मरणं ध्रुवम् ॥ ७ ॥ मघा क्षेमकरी प्रोक्ता तथा पूर्वोत्तरा सदा । हस्तचित्रा भवेन्नित्यं स्वाती शुभकरा पुनः ॥ ८ ॥ विशाखा धननाशाय मैत्र्यां स्याद्वाज्यमेव च ॥ ज्येष्ठा च मृत्यवे प्रोक्ता मूलं चाषाढिकाद्वयम् ॥ ९ ॥ मृत्युंकरा धनिष्ठा च श्रवणे राज्यमेव च ॥ शतभिक्च तथा प्रोक्ता पूर्वाभाद्रपदोत्तरा ॥ १० ॥ कांचनं पौष्ण आयुरारोग्यमेव च । पल्लीप्रपतनं यस्य सरटस्याधिरोहणम् ॥ ११ ॥
॥ भाषा ॥
नामी दशमी इनमें पल्लोको पतन मरण करें ॥ ३ ॥ ग्यारसमें पल्लीको पतन पुत्रलाभ करें. द्वादशी में पल्लीको पतन धनसंपदा करे. त्रयोदशीमें पल्लीको पतन हानि करे. चौदसमें पलोको पतन रत्नकी हानि करे ॥ ४ ॥ पौर्णमासी अमावास्या में पल्लीको पतन बन्धूनकी हानि, धनको क्षय करे. और चन्द्रवार, शुक्रवार, बुधवार, गुरुवार ये चार वार शुभ करबेवाले सदा जानने चाहिये ॥ ५ ॥
॥ इति तिथिवारफलम् ॥
अथ नक्षत्रफलम् || अश्विनीमें पल्ली पडै तो क्षेम आरोग्य होय. भरणीमें पडे तो रोगकरै.. कृत्तिकामें पडे तो धनकी हानि करे. रोहिणी मृगशिर इनमें पडे तो संपदा होय ॥ ६ ॥ आर्द्रामें पडै तो मृत्यु भय करें, पुष्य, पुनर्वसु इनमें पडे तो धनको लाभ करै. आश्लेषामें पडे तो मरण निश्चय होय ॥ ७ ॥ मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी इनमें पडे तो कल्याण करे. और हस्त चित्रा स्वाती इनमें पडै तो शुभ करै ॥ ८ ॥ विशाखा में पडै तो धनको नाश करै. अनुराधा में पडे तो राज्य होय, ज्येष्ठामें पडे तो मृत्यु करे. मूल पूर्वापाढा उत्तराषाढा इनमें पडे तो मृत्यु करे ॥ ९ धनिष्टामें पडे तो मृत्यु करै. श्रवण में पडै तो और शतभिषा पूर्वाभाद्रपदा उत्तराभाद्रपदा इनमें पडै तो राज्य होय ॥१० ॥ रेवती नक्षत्र में पल्ली पडे तो आयु, आरोग्य, सुवर्ण इनको लाभ होय ॥ ११॥
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