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________________ (१५८) वसंतराजशाकुने-सप्तमो वर्गः। भूत्वानुलोमा विदधाति शब्दं श्यामा विलोमा पुनरेव चागे। निर्वाहयेत्सैव यदा तदानीं किंचिचिरात्कार्यमुपैति सिद्धिम् ॥ ॥ १७७॥ दृष्टोपविष्टा प्रथमं सशब्दा तारा ब्रजंती तदनुप्रविष्टा ॥ पुंसामनल्पं फलमल्पकालायच्छत्यभीष्टं विनिहंत्यनिष्टम् ॥ १७८॥ करोति विष्ठां विधुनोति गात्रं शब्दं विधत्ते श्रयति प्रदीप्तम् ॥ तारापि या नश्यति लीयते वा सा स्यादनिष्टैकफलप्रदात्री ॥ १७९॥ कृत्वा शब्दं वामतो मौनिनी वा ऋज्वी तारा ब्रह्मपुत्री भवेद्वा॥आशाचेष्टास्थान शांता नराणामाशापूर्तिः सा करोति क्षणेन ॥ १८० ॥ ॥ टीका ॥ स्यात् ॥ १७६ ॥ भूत्वेति ॥ यद्यनुलोमा तारा भूत्वा श्यामा शब्दं विदधाति पुनः . सा एव विलोमा वामा यदा अग्रे निर्वाहयेत् तदा किंचित्कार्य चिरात् चिरकालेन सिद्धिमुपैति ॥१७७॥ दृष्टा इति ॥ बामभागे प्रथमं सशब्दा उपविष्टा दृष्टा तारा वजंती तदनु कुत्रचित्स्थले उपविष्टा संस्थिता पुंसामनल्पमभीष्टं फलम् अल्पकालादचिरादेव यच्छति अनिष्टमनभीप्सितं निहंति दूरीकरोतीत्यर्थः ॥१७८॥ करोतीति ॥ या तारापि भूत्वा विष्ठां करोति गात्रं शरीरं धुनोति कंपयति शब्दं विधत्ते दीप्तं विचित्रं शब्दं श्रयति नश्यति नष्टा याति कुत्रचिल्लीयते वा लीना भवति सा अनिष्टैकफलदात्री स्यात् ॥ १७९ ॥ कृत्वेति ॥ वामतः शब्दं कृत्वा मौनिनी वा या ब्रह्मपुत्री ऋज्वी तारा भवेत् । कीदृशी आशाचेष्टास्थानशांतेति आशादिक्वेष्टा ॥ भाषा ॥ फिर शब्द करे तो वाई समय ब्रह्मपुत्री फल लाभ करै ॥ १७६ ॥ भत्वति ॥ जो अनुलोमा होय करके शब्द करै, फिर वोही विलोमा होय तो कछुक विलंब करके कार्यकी सिद्धि होय ॥ १७७ . ॥ दृष्टाइति ॥ तारा वामभागमें प्रथमशब्द करती बैठी हुई दीखे फिर उडकरके कई स्थलमें जाय बैठे तो पुरुषनकू वांछित फल शीघ्रही देवे अनिष्ट फल दूर कर है ॥ १७८ ॥ करोतीति ॥ जो पोदकी तारा होय कर विष्ठा कर और देहकू . कंपायमान कर और दीप्त शब्द कर और नाशकू प्राप्त होय .या कहूं लीन होय जाय तो वो एक अनिष्टही फलकी देबेवारी है ॥ १७९ ॥ कृत्वेति ॥ बाँये माऊं शब्द करके मौन भारे हुये जो ऋज्वी तारा होय जाय और दिशा, चेष्टा, स्थान ये शांता होय तो मनुष्य Aho! Shrutgyanam
SR No.034213
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandra Gani
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1828
Total Pages606
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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