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सुणि ऊण संख सद्द मिलंति भवणाय वंतरा पड ह । जोइसिय सिंहनादं घंटा वेमाणिया देवा ॥ ? यह गाथा दिगम्बर मतोक्त है। प्रश्न ४४:-देवों को सम्मिलित कर चौंसठ इन्द्र जिन विमानों
में बैठकर यहाँ आते हैं उन विमानों के बनाने वाले देवों के क्या नाम हैं और विमान का प्रमाण कितना है तथा कितने प्रमाण वाला इन्द्र ध्वज आगे
चलता है ? उत्तर :-दश वैमानिक इन्द्रों के विमान कर्ता देवों के नाम
इस प्रकार हैं:-१. पालक, २. पुष्पक, ३. सौमनस, ४. श्रीवत्स, ५. नन्दावर्त्त, ६. कामगम, ७. प्रीतिगम, ८. मनोरम, ६. विमल, १०. सर्वतोभद्र। इसी प्रकार भवनपति, व्यन्तर तथा ज्योतिषी सर्व इन्द्रों के विमान कर्ता अनियत नाम वाले स्वामी से आदेश प्राप्त करने वाले ग्राभियोगिक देव होते हैं। दश वैमानिक इन्द्रों के विमानों की लम्बाई, चौड़ाई एक लाख योजन की तथा ऊँचाई अपने विमान जितनी ही होती है। इनके महेन्द्रध्वज की ऊँचाई एक हजार योजन है और असुरेन्द्रों के विमान पचास हजार योजन के होते हैं। तथा महेन्द्र ध्वज की ऊँचाई पांच सौ योजन की है। शेष धरणेन्द्र आदि अठारह इन्द्रों के विमान पचीस हजार योजन के विस्तार वाले हैं और महेन्द्र ध्वज की ऊँचाई ढाई सौ योजन की है। व्यन्तर ज्योतिष्केन्द्रों के विमान एक हजार योजन के तथा महेन्द्र ध्वज सवा सौ
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