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चन्द्रादिदेवों कि अपेक्षा आधा प्रमाण कहा है, उनके आयुष्य का प्रमाण कितना है ?
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उत्तर : - दोनों का प्रयुष्य समान ही होता है लेशमात्र भी अन्तर नहीं होता । यह संग्रहणी टीका में पाँचवी गाथा की व्याख्या में इस प्रकार कहा है :
शेषासंख्येय वासिदेवानाम् वर्षाण उत्कृष्टमायुः ।"
द्वीपसमुद्रवर्ति चन्द्रविमानलक्षेणाधिकं पल्योपमम्
परन्तु
V
- समग्र प्रसंख्यात द्वीप समुद्र में रहने वाले चन्द्र विमान
देवताओं का उत्कृष्ट आयुष्य एक लाख वर्ष अधिक एक
पत्योपम है ।
प्रश्न ४० : - जैसे जम्बूद्वीप और लवण समुद्र में रहने वाले चन्द्र सूर्य आदि जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत की प्रदक्षिणा करते हुए फिरते हैं, वैसे ही धातकी खण्डादि द्वीप - समुद्रवर्ती चन्द्र सूर्य आदि भी क्या उसी जम्बू द्वीप वर्ती मेरु की प्रदक्षिणा करते हुए घूमते हैं अथवा अपने अपने द्वीप में रहे हुए मेरू की ?
उत्तर :- मनुष्य क्षेत्र में रहने वाले वर्ती मेरु पर्वत को ही अपने अपने द्वीप के मेरु टीका में भी कहा है |
सभी चन्द्र-सूर्यादि जम्बूद्वीपप्रदक्षिणा देते हुए घूमते हैं, की नहीं। ऐसा संग्रहणी
प्रश्न ४१: - मनुष्य क्षेत्र के बाहर रहने वाले चन्द्र सूर्य किस व्यवस्था से ग्रवस्थित हैं ? सूची श्र ेणी से या परिधि रूप से ?
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