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उत्तर :-श्रीचन्द्रप्रज्ञप्ति जीवाभिगम एवं संग्रहणी सूत्र के
अनुसार तो सूची श्रेणो से ही इनकी अवस्थिति सम्भव है, परिधि श्रेगो से नहीं। श्री जीवाभिगम सूत्र को टोका सूर्य पूर्यान्तर व्याख्यान में इस प्रकार
पाठ है। "एतच्चैवमन्तर परिमाणं सूची श्रेण्या प्रतिमन्तव्यं न वलयाकार श्रेण्या एवं संग्रहणी वृत्यादावपि बोध्यम् ।"
एक सूर्य से दूसरे सूर्य का अन्तर सूची श्रेणी से ही प्रतिपादन करना चाहिये, वलयाकार श्रेणी से नहीं।
शंका :-यदि ऐसा है तो मनुष्य क्षेत्र से बाहर पाठ लाख योजन प्रमाण वाले पुष्करार्ध द्वीप में चारों दिशाओं की चारों पंक्तियों में स्थित बहोत्तर चन्द्र एवं बहोत्तर सूर्य का चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र में जो अन्तर कहा है, वह कैसे घटित होता है ? चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र का पाठ इस प्रकार है :--- चंदायो सूरस्स य सूरा चंदस्स अंतरं होई। पन्नास सहस्साई जोप्रणाणं अण्णूणाई ॥ सूरस्स य सूरस्स य सासिणो ससिणो य अंतरं दिव। बहिया माणुस नगरस जोयणाणं सयसहस्सं ॥२॥ सूरं तरिया चंदा चंदं तरिया य दियरा दित्ता...
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