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हिन्दी भाषा-टीका समेतः । योग और पंद्रहवां हो तो दंडयोग होता है, ये दोनों प्रत्येक मास में एकवार आते है ॥ १४॥ ____ कालमुखीयोगपञ्चमि मघ चउ उत्तर, नवमि य कित्तगिय तीय अणराहा । अट्ठमि रोहिणि मज्झिम, कालमुहीयोग ए कहिया ॥ १६५ ॥
भावार्थ-पंचमीको मघा, चतुर्थीको तीनों उत्तरा, नवमी को कृत्तिका, तृतीयाको, अनुराधा और अष्टमीको रोहिणी, ये कालमुखी योग हैं ।। १६५ ॥
वज्रमुसलयोग याने ग्रह जन्मनक्षत्ररवि भरणी ससि चित्ता, उसा भोमाइ बुद्ध धणिहायं । गुरु उफा भिगु जिट्ठा, रेवय सनि वज़मुसलायं ॥ १६ ॥
गहजम्म रिसी एए, वज्जे वीवाह कीरए विहवं। . गमणारम्भे मरणं, चेईय ठवण विद्धंसं ॥ १७ ॥
सेवाइ हवइ निप्फल, करसण अफलोइ दाह गिहपवेसं । विज्जारंभे य जडं, वत्थु वावरइ भसमाय ।। १६८॥
भावार्थ-रविवार को भरणी, सोमवारको चित्रा, मङ्गल वार को उत्तराषाढ़ा बुधवार को धनिष्ठा, गुरुवार को उत्तराफाल्गुली, शुक्रवार को ज्येष्ठा और शनिवार को रेवती नक्षत्र हो तो ये वज्रमुसल योग होते है और ये नक्षत्रों ग्रहोंके जन्मनक्षत्र भी है । ऐसा पाकश्रीग्रन्थ में भी कहा है कि“भर१ चितुर त्तरसाढा३, धणि४ उत्तरफग्गु५ जिट्ट रेवडा७ । सराइ जम्मरिक्खा, एपहिं वजमुसल पुणो. ॥ १ ॥"