________________
तिथि वार नक्षत्र
१४
रवि ६ ० १२
2.
सोम ११
१२
मंगल ० १
११
बुध ३ ८ १३
गुरु
· १२
शुक्र ४६
१४
शनि ५ १० १५
ज्योतिषसारः ।
के
अशुम
११ ज्ये अनु
पूषा उषा चि
●
१४
आर्द्रा उषा ध
१४
१
४
२
६
STN
योग यंत्र
विम भ० वि ०
०
श
पूभ ०००
मू रे अ भध अनु
उफा कृ से मृ आश
७
रो ज्ये म आ पु०
3
७ रे विह उषा उफा ●
अमृत
सिद्धियोग
रवि हत्थ सिय मिसिर, मंगल अस्सणि य बुध अणुराहा । गुरु पुक्ख सुक्क रेवय, सनि रोहिणी जोग अमिता यं ॥ १६६ ॥
भावार्थ - रविवार को हस्त, सोमवार को मृगशीर्ष, मंगल वार को अश्विनी, बुधवार को अनुराधा, गुरुवार को पुष्य, शुक्रवार को रेवती और शनिवार को रोहिणी नक्षत्र हो तो अमृतसिद्धि योग होता है ।
सनि रोहिणि तिजि गमणं, पाणिग्गहणं च वजि गुरु पुखं । परवेसं भूमहलणि, वजिप मंडई उच्छाहं ॥। १६७ ।।
भावार्थ- उक्त अमृतसिद्धियोग समस्त कार्यों में शुभ है तो भी यात्रा देशाटन) में शनि रोहिणी, विवाहमें गुरु पुष्य और गृह प्रवेशमें मोमाश्विनी वर्जित है ।। १६७ ॥
अमृत सिद्धि तिथि योगसे विषयोग
वज्जि रवि हरिथ पंचमि, मिसिर ससि बडिज छट्टि तिहिए।