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हिन्दी भाषा टीका समेतः 1
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शुभग्रह
लग्नके अभाव में, विरुद्ध दिवसमें, आवश्यकीय कार्य में गमन प्रवेश प्रतिष्ठा दोक्षा आदि शुभ कार्य करना, विद्वानोंने कहा है कि शुभ शकुन निमित्त और सुलग्नका अभावमें भी इस छाया लग्नमें निश्चयसे शुभ कार्य करना चाहिये पुन: नरपति जयचर्या में भी कहा है
“नक्षत्राणि तिथि वारास्तारा चन्द्रबलं ग्रहाः । दुष्टान्यपि शुभं भावं भजन्ते सिद्धछायया ॥ १ ॥ इत्यादि विशेष खुलासा 'आरम्भसिद्धि वार्त्तिक' में दिया है ।
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अभिजित् लग्न
तिण मिण हु बार अंगुल छाया रवि वीस चंद सोलाणं । भूपनर बुध चवदह, गुरु तेरह बार भिगु मंदे ॥ ३३ ॥ बे वार अभीय दिण महि, मासा अभीयाइ उसा चउत्थापयं सवणाई घडी चार ही, लहियं करि कज्ज फल बहु ये ॥ ३४ ॥ घडियं ओणोसायं, अभीय भागाय करिय चउभा । पडणो पण घडियायं, जम्मोत्तरक्खरे नामं ॥ ३५ ॥ भावार्थ — बारह अंगुलके शंकुकी छाया रविवारको वोश, सोमवार को सोलह, मंगलवार को पंदरह, बुधवार को चौदह, गुरुवार को तेरह, शुक्रवार और शनिवार को बारह अंगुल की छाया हो तब शुभ कार्य करना । इस शंकुकी छाया को 'अभिजित छाया