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हरितक्यादिनिघण्टुः भा. टी.। (५१) नाम हैं। फारसी भाषा में कनक तथा अंग्रेजीमें mnlian Hded कहते हैं। भांग कफको हरनेवाली, तिक्त, ग्राही, पाचन करनेवाली, इनकी, तीक्ष्ण, उष्या, पित्तकारक और मोह, मद, वाणी और अग्निको बढानेवाली है ॥ २३३ ॥ २३४ ॥
खमतिलः। तिलभेदः खसतिलः खाखसश्चापि संस्मृतः। स्यात्वाखसफलोदभूतं वल्कलं शीतलं लघु २३६॥ ग्राहि तिक्तं कषायं च वातकृत्कफकासहृत । धातूनां शोषकं रूक्षं मदकृद्वाग्विवर्द्धनम् ॥ २३६॥ मुहुर्मोहकरं रुच्यं सेवनात्पुंस्त्वनाशनम् । तिलभेद, खसतिल और खाखस यह पोस्तके नाम हैं। इसे हिन्दीमें पोस्तदानेके डोडे अथवा खसखस, फारसीमें कोकनार तथा अंग्रेजीमें Poppy Seed कहते हैं।
खसखसका छिलका शीतल, हलका, ग्राही, तिक्त, कसैला वातकारक, कफ और खांसीके हरनेवाला, धातुओं को सुखानेवाला, रूखा,मदकारक, वाणीको बढानेवाला, बारंपार मोहकारक, अरुचिकारक तथा सेवन करनेने पुरुषत्वको नष्ट करनेवाला है। खसखसके डोडे पर पछने लगाकर जो दूधसा नगकर सूबता है वह अफीम कहाती है॥२३५॥२३६॥
___ अहिफेनकम् । उक्तं खसफलं क्षीरमाफूकमहिफेनकम् ॥ २३७ ॥ आफूकं शोषणं ग्राहि शेष्मघ्नं वातपित्तलम् । तथा खसफलोद्भूतवल्कलप्रायमित्यपि ॥ २३८ । खसफल, क्षीर, पाक और पहिनक यह अफीमके नाम हैं । इसे हिन्दीमें अफीम फारसीमें अफयून और अंग्रेजीमें Opium कहते हैं।