________________
(३६) भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी.। और बवासीरके मस्सों, रुधिरविकार, वात, कफ तथा शूलको जीतनेपाना है ॥ १६१ ॥ १६२ ॥
मदनः। मदनश्छर्दनःपिंडीराठः पिंडीतकस्तथा । करहाटो मरुबकः शल्यको विषपुष्पकः ॥१६॥ मदनो मधुरस्तिक्तो वीर्योष्णो लेखनो लघुः । वांतिकृद्विद्रधिहरः प्रतिश्यायव्रणान्तकः ॥१६॥ रूक्षः कुष्ठकफानाहशोथगुल्मव्रणापहः । मदन, छर्दन, पिण्डीराठ, पिण्डीतक, करहाट, मरुवक, शल्यक, विषपुष्पक यह मदनफलके संस्कृत नाम हैं। हिन्दी में इसे राडा तथा मैनफल, अंग्रेजीमें Bushia Gardenia कहते हैं । मैनफल-मधुर, तिक्त, उष्णबीर्यवाला, लेखन करनेवाला, हलका, वमनको करनेवाला, विद्रधिनासक, रूक्ष तथा प्रतिश्याय, व्रण, कोढ, कफ, शोथ, पानाह, (अफारा), गुल्म तथा व्रणको नाश करनेवाला है ॥ १६३ ॥ १६४ ।।
राना।
रास्ना युक्तरसा रस्या सुवहा रसना रसा ॥१६॥ एलापर्णी च सुरसा सुगन्धा श्रेयसी तथा । रानामपाचनी तिक्ता गुरूष्णा कफवातजित्।१६६। शोथश्वाससमीरास्त्रवातशुलोदरापहा । कासज्वरविषाशीतिवातकामयसिध्महृत् ॥ १६७॥ रास्ना, युक्तरसा, रस्या, सुबहा, रसना, रसा, एलापर्णी, सुरसा, सुगन्धा, प्रेयसी यह रास्नाके संस्कृत नाम हैं। इसे हिन्दीमें रायसन, फारसीमें रान कहते हैं। Aho! Shrutgyanam