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भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी . ।
भारी पौर वातनाशक है। जिनका देह बडा पौर मोटा होता हैं उनके सर जातिके प्राणियोंमें जो छोटे देहवाले होते हैं उनका मांस उत्तम और जिनका देह छोटा है उनके सदृश जातिके प्राणियोंमें जिनका देह बडा होता है उनका मांस उत्तम है । ९१-९८ ॥
अथ मत्स्याः ।
रोहितः ( रोहू ) ।
रक्तोदरो रक्तमुखो रक्ताक्षो रक्तपक्षतिः । कृष्णपुच्छो झषः श्रेष्ठो रोहितः कथितो बुधैः ॥ ९९ ॥ रोहितः सर्वमत्स्यानां वरो वृष्योऽर्दितार्त्तिजित् । कषायानुरसः स्वादुनो नातिपित्तकृत् । ऊर्ध्वजत्रुगतान्रोगान्हन्याद्रोहितमुण्डकम् ॥ १०० ॥
जिन मछलियों के पेट, सुख, नेत्र और पंख ये काम होते हैं तथा पूँछ काली होती है उनको विद्वानोंने उत्तम रोहू मछली कहा है। रोहित (रोहू ) मछली, सर्व मछलियोंमें श्रेठ, वृष्य, प्रतियाते (लकवा) नाशक, कसैली, स्वादु, वातनाशक और अत्यन्त पित्तकारक नहीं है । रोहका मस्तक - हँसली से ऊपरके रोगोंको नष्ट करता है ॥ ९९ ॥ १००
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अथ शिलींध: ( सिलन्ध ) ।
शिलींध्रः श्लेष्मलो बल्यो विपाके मधुरो गुरुः । वातपित्तहरो हृद्य आमवातकरश्च सः ॥ १०१ ॥
सितम्भ मछली- कफकारी, बलदायक, पाक में मधुर, भारी, वा aur पिनाथक, हृदयको प्रिय और आमवातकारक है ॥ १०१ ॥
Shrutgyanam