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हरीतक्यादिनिघण्टुः मा. टी. ।
( ३८१ )
चित्रपक्षका मांस कफनाशक और वात तथा संग्रहणी नाशक है । भवलका मांस - रक्तपित्तनाशक और शीतल है ॥ ६५ ॥
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अथ मयूरः ( मोर ) ।
मयूरश्चन्द्रकी केकी मेघरावो भुजंगभुक् । शिखी शिखावलो बहीं शिखण्डी नीलकण्ठकः ६६ ॥ शुक्लोपांगः कलापी च मेघनादानुलास्यपि । रसे पाके च मधुरः संग्राही वातशान्तिकृत् ॥६७॥ मयूर, चन्द्र की, केकी, मेघशवा भुजंगभुक्, शिखी, शिखाबल, बहीं, शिखण्डी, नीलकण्ठ, शुक्लोपांग, कलापी और मेघनादानुनासी ये मोरके. संस्कृत नाम हैं ।
मोरका मांस रस में तथा पाकमें मधुर, प्राही और घातनाशक है६६६७ ॥
अथ पारावतः (कबूतर, परेवा ) |
पारावतः कलरवः कपोतो रक्तवर्द्धनः । पारावतो गुरुः स्निग्धो रक्तपित्तानिलापहः ॥ संग्राही शीतलस्तज्ज्ञैः कथितो वीर्यवर्द्धनः ॥ ६८ ॥
पाशवत, कलरव, कपोत और रक्तवर्द्धन ये परेबा और कबूतरके नाम हैं । इन दोनोंका मांस भारी, स्निग्ध, ग्राही, शीतल, वीर्यवर्द्धक और रक्तपिन तथा वातनाशक है ॥ ६८ ॥
tr verses (पक्षियों के अण्डाके ) गुणाः । नातिस्निग्धानि वृष्पाणि स्वादुपाकरसानि च । वातघ्नान्यतिशुकाणि गुरूण्यण्डानि पक्षिणाम् ६९
पक्षियोंके अण्डेको हिन्दीमें अंडा । बं- डिम्ब गु० - इंडा कहते हैं । पक्षियोंका अंडा - बहुत स्निग्ध नहीं, वृष्य, भारी, पाकमें तथा इसमें मधुर, वातनाशक और अत्यन्त वीर्यवर्द्धक है ॥ ६९
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