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हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी.। (३७१) अनुदा मधुराः पित्तकफनास्तुवरा हिमाः। लघवो बद्धवर्चस्काः किञ्चिद्रातकराः स्मृताः ॥२३॥ हरियल, पिंडुकिया, चित्रपक्ष एक (शकारका तोता) बडा तोता, कर सर, खंजन और कोयळ प्रादिक प्रतुद कहे हैं। ये चोचले पदार्थको नोच कर खाते हैं इससे इनको प्रतुद कहा है। कबूतर-मफेद और पांडुर ऐसे दो प्रकारका होता है. शतपत्र यह बडे तोतेहीका नाम है और अमरकोशमें तो कटफोरेको लिखा है ।। . प्रतुदजीवों का मांस-मधुर, पित्त तथा कफनाशक, कलेला, शीतल, इलका, मलको बांधनेवाला और किंचित् वातकारक है ॥ २६-३३६ .
अथ प्रसहानां ( दूसरेसे छीनकर खानेवाल
पक्षियोंकी ) गणना गुणाश्च । काको गृध्र उलूकश्च चील्लश्च शशघातकः । चाषो घासश्च कुरर इत्याद्या प्रसहाः स्मृताः॥२४॥
शशघातकावाज इति लोके। चाषो नीलकण्ठइति लोके भासो गृध्रविशेषः स्यात्" । कुररः ‘कुरांकुर' इति लोके। "प्रसहाः कीर्तिता एते प्रसह्याच्छिद्य भक्षणात् ।" प्रसहाः खलु वीर्योष्णास्तन्मांसं भक्षयन्ति ये। ते शोषमम्मकोन्मादशुक्रक्षीणा भवन्ति हि ॥२६॥ कौमा, गिद्ध, उल्लू, चीन, बाज, वशिकरा, वई, नीलकण्ठ, भास (एक प्रकारका गिद्ध ) और कुरर (कुल) इत्यादि प्रतह कहाते हैं। बलात्कारसे छीन खाते हैं इससे इनका नाम प्रसह है।
प्रसह जीवोंका मांस-उष्णवीर्य है, इससे जो इनको खाते हैं उनको-शोष भस्मक और उन्मादरोग होता है तथा वीर्य क्षीण होता है ॥ २४॥ २५॥
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