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हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी.। (३३९) कुष्ठाशकासपित्तास्त्रकफमेहक्लमक्रिमीन् ॥ ४॥ मेदस्तृष्णावमिश्वासहितकातीसारविड्ग्रहान् । दाहक्षतक्षयात्रं तु योगवाह्यल्पवातलम् ॥५॥ मधु,माक्षिक,माध्वीक,ौद्र,लारघ,पक्षिकाबान्त, गरीबान्तभंगवान्त और पुष्परसोद्भव यह शहदके नाम हैं। इसका अंग्रेजी नाम Honey है।
मधु-शीतल, हलका, मधुर, रूत, ग्राहो, लेखन, नेत्रहि तकर, दीपन, स्वरकारक, वण को शोधा और रोषण करने वाला, पुनारताको बढानेवाला, सूक्ष्म नाडियों को शुद्ध करने वाला, कायानुप्स, आहादकारक, प्रसन्न करने वाला,वर्णको उनन करने का, वीर्य पद्धत, विशद, राचन तथा कुष्ठ, भर्श, काल, पिस, रक्त वेझार, कर, प्रह, ग्लाने, कृमि, मेद, प्यास, वनन,श्वास, हिचकी, मल दाहाबत, चार और रक्तविकारको नष्ट करने वाला है तथा योगाहो पोर किंचित वातकारक है ॥१-५॥
अथं मधुमेदाः। माक्षिक भ्रामरं क्षौद्रं पौत्तिकं छात्रमित्यपि ।
आध्यमौदालक दालमित्यष्टौ मधुजातयः ॥ ६॥ माक्षिक, भ्रापर, क्षोद, पोतेक, छात्र, अर्य,ौदालक और दान मधुके यह आठ भेद हैं ॥ ६ ॥
माक्षिकरक्षणगुणाश्च । मक्षिकाः पिंगवर्णास्तु महत्यो मधुमक्षिकाः । ताभिः कृतं तैलवण माक्षिक परिकीर्तितम् ॥ ७ ॥ माक्षिकं मधुषु श्रेष्ठं नेत्रामयहरं लघु ।
कामलार्श शतश्वासकासक्षयविनाशनम् ॥ ८॥ 'बडी मोर पिंगनधर्मवाली मलिकाको मधुमक्षिका कहते हैं । इनसे बनाया हुआ था वेबके वर्णवाला मधु मान्टिक कहलाता है। माक्षिक