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( १९६) भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी. । हिन्दीमें गुलर, फारसीमें अंजीरे पादम और अंग्रेजीमें Kigtree करते हैं। गुलर-शीतल, रूस, भारी, मधुर, कसैला, वर्णको उत्तम करनेवाला, ब्रयन शोधन और रोपण करनेवाला और पित्त कफ तथा रक्तविका रको हरनेवाला है ॥ ८॥९॥
मलयूः। काकोदुम्बरिका फल्गुमलयूर्जघनेफला । मलयूस्तम्भकृत्तिक्ता शीतला तुवरा जयेत् ॥१०॥ कफपित्तव्रणश्वित्रपांड्वर्शःकुष्टकामलाः । काकोदुम्परिका, फल्गु, मलयू और जघनेफल यह कैवरी के नाम हैं। इस को हिन्दी में कैबरी, फारसी में अंजीरे दाती और अंग्रेजीमें Figtree कहते हैं। कैधरी-स्तम्भन करनेवाली, तिक्त, शीतल, कसैली तथा कफ, पित्त, व्रण, श्वित्र, पाण्डुला, अर्श, कुष्ठ और कामला इन रोगोंको दूर करनेवाली है ॥ १० ॥
प्लक्षः। प्पक्षो जटी पर्पटी च कर्पटी च स्त्रियामपि ॥११॥ पक्षः कषायः शिशिरो व्रणयोनिगदापहः । दाह पित्तकफास्रघ्नः शोथहा रक्तपित्तहत् ॥ १२ ॥ प्लक्ष, जटी, पपैंटी और कपटी यह पिलखनके नाम हैं। पिलखनकसैली, शीतल, व्रम तथा योनिरोगोंको हरनेवाली, शोथको नष्ट करने पाली, रक्तपित्तको दूर करनेवाली तथा दाइ, पित्त, कफ और रक्तविकारोको दूर करनेवाली है ॥ ११ ॥ १२ ।।
शिरीषः। शिरीषो भंडिलो भंडी भंडिरश्च कपीतनः । शुषपुष्पा शुक्तस्मृदुपुष्पा शुकप्रियः ॥ १३ ॥