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भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी. । वटादिवर्गः ६.
तत्रादौ वटस्य नामानि गुणाश्च । वटो रक्तफलः शृंगी न्यग्रोधः स्कन्धजो ध्रुवः । क्षीरी वैश्रवणावासो बहुपादो वनस्पतिः ॥ १ ॥ वटः शीतो गुरुयाही कफपित्तत्रणापहः । वयों विसर्पदाहनः कषायो योनिदोषहत् ॥२॥ प्रथम पटके नाम तथा गुणोंको कहते हैं:वट, रक्तफल, शुंगी, न्यग्रोध, स्कन्धज, ध्रुव, क्षीरी, वैश्रवणावास, बहुपाद और वनस्पति यह बडके नाम हैं। इसे हिन्दीमें बड़ अथवा वरौटा, फारसी में दरखतरेशा और अंग्रेजी में Banian Tree कहते हैं । बड़-शीत, भारी, ग्राही, वर्णको उत्तम करनेवाला, कलैला तथा कफ, पित्त, व्रण, वितर्प, दाह और योनिदोष इनको दूर करता है ॥ १ ॥२॥
अश्वत्थः। बोधिद्रः पिप्पलोऽश्वथश्चलपत्रो गजाशनः। . पिप्पलो दुर्जरः शीतः पितश्लेष्मत्रणास्रजित् ॥३॥ गुरुस्तुवरको रूक्षा वो योनिविशोधनः । वोधिद्व, पिप्पल, अश्वत्थ, चलपत्र और गजाशन यह पीपलके नाम हैं। इसे हिन्दीमें पीपल, फारसीमें दरखत लरजां और अंग्रेजीमें Poplar leaved Figtree कहते हैं। पीग्ल-दुजर, शीतल, भारी, कसैला, रूक्ष, वर्गको उत्तम करनेवाला, योनिको र नेवाळा और पित्त, कफ व्रण और रक्त विकारको जीतता है ॥ ३ Aho! Shrutgyanam