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हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी. ।
( १६७ )
तृप्तिको करनेवाला, कफकारक, स्निग्ध, वीर्यवर्धक, मळके बन्धको करनेवाला, पुष्टिकारक, भारी, बलकारक और वायु, पित्त, क्षत, दाह, क्षयः तथा रक्तविकारको दूर करता है । १९-२१ ॥
राजाम्रम् ।
राजा म्रष्टंग आम्रातः कामाह्वो राजपुत्रकः । राजानं तुवरं स्वादु विशदं शीतलं गुरु ॥ २२ ॥ ग्राहि रूक्षं विबंधाध्मवातकृत्कफपित्तनुत् ।
राजाम्र, टंग, साम्रात, कामाद और राजपुत्रक यह कलमी ग्रामके नाम हैं । इसे हिन्दीमें कलमी आम और मालदह आम कहते हैं ।
राजा म्र- कसैला, स्वादु, विशद, शीतल, भारी, ग्राही, रूक्ष, कफ और पित्तको नष्ट करनेवाला और विवन्ध, प्राध्मान, वात तथा कफ इनको बढानेवाला है ॥ २२ ॥
कोशाम्रम् ।
कोशाम्र उक्तः क्षुद्राम्रः कृमिवृक्षः सुकोशकः ॥ २३ ॥ कोशाम्रः कुष्ठशोथास्रपित्तत्रणकफापहः । तत्फलं ग्राहि वातघ्नमम्लोष्णं गुरु पित्तलम् ॥२४॥ पक्वं तु दीपनं रुच्यं लघूष्णं कफवातनुत् ।
कोशाम्र, क्षुद्राम्र, कृमिवृक्ष, सुकोशक यह छोटे आमके नाम हैं । कशाम्र - कुष्ठ, शोथ, रक्तविकार, पित्त, व्रण और कफ इनको नष्ट करता है। कोशाम्रका फल-ग्राही, वातनाशक, खट्टा, गरम, भारी पित्तकारक होता है । इसका पका हुआ फल- दीपन, रुचिकारक, हलका, गरम तथा कफ और वातको दूर करनेवाला है ॥ २३ ॥ २४ ॥
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घनसः ।
पनसः कंटकिफलः पनसोऽतिबृहत्फलः ॥ २५ ॥ पनसं शीतलं पक्वं स्निग्धं पित्तानिलापहम् |