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(९४) भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी. ।
शुक्लरक्ताौं । श्वेतार्को गणरूपः स्यान्मंदारो वनुकोऽपि च ॥१८॥ श्वेतपुष्पः सदापुष्पः स बालार्कः प्रतापसः। रक्ताऽपरोकनामा स्यादर्कपर्णो विकीरणः ॥ ६९ ॥ रक्तपुष्पः शुक्लफलस्तथा स्फोटः प्रकीर्तितः। अर्कद्वयं सरं वातकुष्ठकण्डूविषवणान् ॥ ७० ॥ निहंति प्लीहगुल्माशःश्लेष्मोदरशकृत्कृमीन् । अलर्ककुसुमं वृष्यं लघु दीपनपाचनम् ॥ ७१ ॥
अरोचकप्रसेकाशकासश्वासनिवारणम् ॥ ७२॥ रक्तार्कपुष्पं मधुरं सतिक्तं कुष्ठक्रिमिघ्नं कफनाशनं च अशीविषहतिचरक्तपित्तसंग्राहिगुल्मेश्वयथोहितं तत्७३
क्षीरमर्कस्य तिक्तोष्णं स्निग्धं सलवणं लघु । कुष्ठगुल्मोदरहरं श्रेष्ठमेतद्विरेचनम् ॥ ७४ ।।
श्वेतार्क, गणरूप, मन्दार, वसुक, श्वेतपुष्प, सदापुष्प, बालार्क तथा प्रतापस यह श्वेत अर्कके नाम हैं। रक्तार्क, अर्कपर्ण, विकीरण, रकपुष्प, शुक्लफल, स्फोट तथा सूर्यके सम्पूर्ण नाम यह रक्तार्कके नाम हैं। इनको हिन्दी में सफेद और लाल आक, फारसीमें दुध तथा खुर्क और अंग्रेजीमें Gigontic Swallw wart कहते हैं।
दोनों प्रकारके आक-दस्तावर तथा वात, कोड़, खुजली, विष, व्रण, कीहा, गुल्म, अर्श, कफ, उदररोग और मलके कृमियोंको नष्ट करते हैं। पाकका फूल-वीर्यवर्धक,हल्का,दीपन,पाचन रुचिकारक, प्रसेक (मुखसे नार गिरना ) अर्श,कास और वास इनको दूर करता है । लाल पाकका