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[ ९५] पति तिलक धराविया ए । श्रावक रत्न सुजाण के ॥०॥ कोटी ध्वज व्यवहारियाए ॥ मलीया राणराय के ॥ ह० ॥ १२ ॥ देरासर साथे घणाए । पुजा भक्ति जिनंद के ॥ ह० ॥ गंधर्व ज्ञान कला करे ए ॥ भाट भटित कहे छंद के ॥ ह० ॥ १३ ॥ जल सुखने काजे लिया है। साथे चर्म तलाब के ॥ ह० ॥ सबल साचवणी संघनिरे ॥ दीन २ अ. धिको भाबके ।। ह०॥१४॥ मार्ग तीरथ वंदता ए ॥ सहगुरु साथे सुचंदके ।। ह०१५। रेलातो लागिरि आविआए ।। कुशले सघलो संघके ॥ ह० ॥ डेरा तंबु खडा किया ए ॥ उतरिया महत उमंग के ॥ह० ॥ १६ ॥
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ढाल ५ मो. . रोला तोला पर्वतनी घाटी ॥ श्री संग उतरे जामजी पुरुष एक विकराल करुपी ॥ सामो आवी कहे तामजी ॥ १ ॥ सुणजो सुणजोरे भवि लोकाईण थानक थीरथाओजी ॥ मुननेरे शमझावा रखे कोइ आगल जाओजी ॥१०॥२॥ अति कालो
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