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________________ पाइअकहासंग्रहे। IN प्रमावे ॥३९॥ SHOCCACIOCLCCORE वि सामिय ! तत्थ पवेसं अहं तओ निवई । हकारह तं गेहा सपरियणं आगओ सो वि ॥ ६७ ॥ तं पिच्छिय विजयनिवो भावनान मुणइ दुण्डं पि कहमवि विसेसं । पुढेण परियणेण वि सो च्चिय कहिओ सुधणुमंती ॥ ६८ ॥ सच्चामच्चो पभणइ में न मुणसि पिययमे ! कह तुमं पि । सा जपइ मज्झ पिओ एसो चिय नेव धुत्त ! तुमं ॥ ६९ ॥ दुण्ह वि नाण विवाओ संजाओ बहुबुद्धिगाढमच्छरुच्छाहो । सरिसाण ताण कहमवि न निवयं वियरए को वि।। ७० ॥ भणियं नरनाहेगं सुद्धी तुम्हाण कव. तकथानकम् पडणाओ । तत्तो सच्चामच्चो निवडिय सिग्धं पि नीहरिओ ।। ७१ ॥ जंपेइ महीनाहो सुद्धो सुद्धो त्ति एस खलु सचिवो । धुत्तामचेण तओ पयंपियं अहमवि पडेमि ॥७२॥ महिनाहेणं मणिओ मरसि तुमं तह वि निवडियो झत्ति । जलपउठिओ कुवाउ निग्गओ दिवसत्तीए ॥ ७३ ॥ सच्चामच्चो जाओ विच्छाओ विहसिओ पुणो अवरो । नरनाहो सासंको न कं पि ताणं पमाणेइ ॥७४॥ दो वि तओ एगमणा भणति पहु ! किं पि निन्नयं देसु । तो निवई नयरीए भणावए पडहसदेण ।। ७५ ।। जो एयाण विवायं हरेइ सो वंछियं लहइ पुरिसो। निन्नेउं असमत्थो एयं तो तं न को छिबइ ।। ७६ ॥ तो बहुबुद्धी छिविओ कुणिऊणं सक्खिणं अमच्चजणं । निवई नियदत्तवयणो आणेइ सोवन्नभिंगारं ॥ ७७ ॥ तं पूइऊग पभगइ एयस्स मुहेण पविसिउं जो उ । निस्सरई नालेणं सो नणं हवह सचिववरो ॥ ७८ ॥ धृत्तो कलसमुहेणं पविसिय नालेण नीसरह ज्झत्ति । दिवेण पहावेणं हरिसेणं विहसियसरीरो ।। ७९ ॥ भणिओ वि णेगवारं मच्चो सत्तीए विरहिओ तत्थ । पविसेउं पि न तीरइ बहुबुद्धी भणइ तो निवई ।। ८०॥ एसो चिय पहु! सच्चो एयस्स न जेण एरिसा सत्ती । दुइओ उण नीसरिओ नणं दिवाइ सत्तीए ।। ८१ ॥ जंपेइ तओ धुत्तो जं भणियं किं पि तं मए विहियं । बहुबुद्धि ! सच्चभासय ! मंतिपयं देसु मह ॥३९॥ RECACCORD ING
SR No.034180
Book TitlePaiakaha Sangaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay, Kantivijay
PublisherVijaydansuri Jain Granthmala
Publication Year1952
Total Pages98
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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