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कुसुमपूजायां कुसुमशेखरकथा
॥१॥
श्रीअनन्त
मनाजो सच्छस्साउसीयलजलेण । पूयइ सो तेणेवय पक्खालइ नियमलं निवमा ॥ १२॥ जो घणसारं अगरुं च दहइ नाथचरि
जिणअंगधूवणनिमित्तं । सो घणसारो जायइ अगुरू धणओ वि जस्स पुरो ॥१३॥ जो मंगलप्पईवेण पूयए सामिसात्रादुद्धृतं
लजिणचंदं । सो दीवसिहा उज्जलमुत्ती सग्गसिरिं रमइ ॥ १४ ॥ जे निरवजं भोज नेवजे जिणवरस्स जच्छंति । पूजाष्टकम्
भोत्तूण ते अ(5)णवजाइंल(भ)वसुहाई सिवं जंति ॥१५॥ जो सुहवासेहिं जिणेसरस्स पूएइ पायसयवत्तं । सो सुहवासं मि सया सिवालए सासओ वसइ॥ १६॥ एयाओ अट्ठवि कुणइ जो सया भत्तिनिब्भरो भयो। सो अट्ठकम्ममुको |संपज्जइ सासओ सिद्धो ॥१७॥ सबाहिंवि असमत्थो एक्काएवि पूयए जइ जिणं जो । ता सोवि भावसुद्धीए पावए सिद्धिसंबंध ॥ १८ ॥ एयाउ राय कहियाउ तुब्भ पूयाउ इय जिणुत्तम्मि । भणइ निवो पणयपहू सीमंतयरइयकरकोसो ॥ १९॥ जयनाह साहसु महं महंतकोऊहलाउलमणस्स । दिटुंते अट्ठाणवि पूयाणिण्हि कयपसाया ॥ २०॥ जंपइ जिणेसरो सुणसु राय कयअप्पमत्तमणवित्ती। संपइ साहिजंते दिढते अट्ठ पूयासु ॥ २१॥ इह दुग्गदेव दुग्गयपडाय वानरय चंदैतेयक्खा । साहससार अकिंचण रॅणसूर धणावहा पुरिसा ॥ २२ ॥ होउं कमेण एकेकपूयकरणेण गरुयरायाणो । सिरिकुसुमसेहरक्खयकित्तिप्फलसारजलसारा ॥२३॥ सिरिघूवसुंदरो तह मुँवणपईवो पईवसिहवत्तो । मुंवणप्पमोयगो गंधबंधुरो सिवपुरि पत्ता ॥ २४ ॥ कुलयं । कुसुमेहिं जेण पूइय जिणेसरं पाविया महारिद्धी । तं कुसुमसेहरकहं कहिज्जमाणं निसामेह ॥ २५ ॥ पुरमत्थि एफुरियमहापहाविरायंतरयणपायारं । रयणप्पायारं नाम गुरुविमाणं सुरपुरं व ॥ २६॥ रयणीसु जत्थ ससिरयणचंदसालागलंतसलिलेण । भवणाई नीरयाई भवंति मुणिमाणसाइं व ॥२७॥ तत्थत्थि हत्थियरहजोहोहपसाहियाहियसमूहो । विलसिररयणाभरणो रयणाभरणोत्ति नरनाहो ॥ २८ ॥ आयड्डियासिपडिफलियतरणिकिरणावलीकलियकाओ। पयडपयावप्पसरोव जो
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SULELEVALण्डन