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द्रव्यानुभव- रत्नाकर। ]
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जामन, खजूरा, फैनी, खाजा, आदि नाना प्रकार की बस्तु बनावे और नाना प्रकारके खूब गर्म मसाले देकर सागादि तयार करे और उसमें लौन किञ्चित भी सागादिमें न गेरे और उस रसोई आदिकको जो कोई जीमने वाला जोमें अर्थात् भोजन करे, तो उस भोजन करनेसे उसका चित्त प्रसन्न कदापि न होगा. और पेट भरके भी न खाय सके, यह अनुभव सबको होरहा है, और उस रसोईको सब लोग फीकी कहें इसलिये लौन मीठा हो हैं, और उसके सिवाय मीठा कोई नहीं, इसलिये रस पांच ही हैं, लौनको जुदा रस मानना ठीक नहीं :---
स्पर्श- - आठ प्रकारका १ कर्कस ( खर्खरा), २ मृदु ( कोमल ),. ३ गरू ( भारी ), ४ लघु ( हलका ), ५ उष्ण ( गम ), ६ शीत (ठण्ड), ७ सस्निग्ध ( चीकना ), ८ रुक्ष ( लूखा ), ये आठ फर्स पुद्गलमें होते हैं, सो बर्ण ५, गन्ध २, रस ५, और स्पर्श ८ यह सर्व मिलकर पुद्गलमें २० गुण जानना । सो इन २० गुणोंमें से एक परमाणु के विषय ५ गुण मिलते हैं सो ही दिखाते हैं, कि ५ वर्ण में से चहिये जौनसा १ वर्ण होय, और दो गन्धमें से चहिये जौनसा एक गन्ध होय, और ५ रस में से चहिये जोनसा एक रस होय, और आठ स्पर्शोंमें से ४ स्पर्शतोमिलते हैं नहीं सो उनका नाम कहते हैं कि एक करकश, २ मृदु, ३. गुरु. और ४ लघु, यह चार स्पर्श सूक्ष्म परमाणुके विषय नहीं होते, और शीत, उष्ण, स्निग्ध, और रुक्ष, इन चार स्पर्शांमें से भी दो विरोधी स्पर्श एक परमाणु में रहे नहीं, क्योंकि देखो शीतका विरोधी उष्ण और स्निग्धका विरोधी रुक्ष । इसलिये अबिरोधी दो स्पर्श होय सो ही दिखाते हैं कि, शीत और स्निग्ध होय, अथवा शीत और रुक्ष होय, अथवा उष्ण, स्निग्ध होय, अथवा उष्ण और रुक्ष होय । इसीरीतिले. एक परमाणु अर्थात् एक अंश है, उसमें अविरोधी दो स्पर्स मिले, रीति से एक परमाणुके विषय ५ गुण मिले। और दो प्रदेशी खन्दकेविषय उत्कृष्ट पनेसे दस गुण होय । क्योंकि देखो उन दो परमाणुओंमें भिन्न २ दो वर्ण, और दो रस, और दो गन्ध, तथा ४ अविरोधी स्पर्श सो दो दो जुदा २ प्रदेशके विषय होय । यह दस गुण दो पारमाणुका
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