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मंत्री घारिसिंह
चौदहवीं सवी
(७६) अज्ञात (८६) गिरनार तीर्थ स्तवनम् गा० ५
प्रादि-हिव आसालु पहुतउ हिलिए, पाउस पहिलउ मासु ।
अंबरि जलहरु उदयलि हलिए, गोयलि रासु रमेसु ।१ अन्त-मिलिहुंणि सहिय समाणिय हिलिए, कुसुमह करडु भरेसु । निमि जिण पूज कराविसु हिलिए, भव संसारु तरेसु ॥५
प्रतिलिपि-अभय जैन ग्रन्थालय
(७७) मंत्री धारिसिंह
(८७) श्री नेमिनाथ धुल गा० ८ प्रादि-सहजि सलूणड़ी नारि, मिलीअ स तेवड़ तेवड़ी ए।
राउलड़ा घर बारि, नेमि कुमर वर जोयती ए॥१ पूच्छइ पूच्छइ राजकुमारि, कहिन बहिन वर किमु हुउ ए ।
सणउ तम्हि सहिय बिच्यारि, जिण परि वर मंइ पामिउ ए ॥२ अन्त-इण परि नेमि कुमार, गुण गाई सवि कामिणी ए। राणीय राजिमती भत्तार, मंत्रि धारिसिंघ स्वामिणी ए॥
प्रतिलिपि-अभय जैन ग्रन्थालय
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