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आदि :
अन्त
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ता पुहवि पहाणइ सग्ग समाणइ वल्लउ वाहड़मेरि ता तहिवि जिणहरु अच्छइ मणहरु जोउव निज्जइ मेरि ता नाभिहि नंदर नयणारणंदणु रिसह जिणेसरु देउ । ता सहि वदिज्जइनिच्छइ फिट्टइ पावह लेउ ॥८
मरू गूर्जर जैन कवि
: सा पूइउ मज्जिउ पुन्नु उवज्जिउ सामिउ हरिसह पूरि ता जगह पहारण गुणह निहाणू वदिउ जिणिस र सूरि ता मिलिया लोया पूयह जोया, चित्ति भयउ चमकारु ता इणि परि महिमा का इहि रम्मा पावहि सुक्खु अपारु ॥८ प्रतिलिपि - अभय जैन ग्रन्थालय
(१८) श्री वासु पूज्य बोलिका गा० ४ पाहणपुर आदि :
ता पल्हणपुरि गोरी विनंति करइ जु प्रिय निसु हु ! ता दूसम कलि सूसमु श्रवयरिउ यउ दुहह जलंजलि देउ || ता चल्लहि सामिय मयगल सलहउ जसु करेसु ।
ता विजाउरि विहि मंदिर पणमिसु वासुपुज्जु तित्थेसृ । ७
ग्रंथ दृष्टव्य है |
: ता छं छं छररं प्राउज वजहि वीण वेणु अइ रम्म । ता तु बुर सरि महुर सरि गायहि गायण खोड़हि कम्म || ता वासपुज्जु तित्थयरु पसंसहि सु गुरु जिरणेसर सूरि ता भवियहु जण मण वंछिउ पावहु दुरिउ पणासह दूरि ||४ (सं० १४३७ लि० प्रति से) विशेष विजाउरि - बीजापुर के सम्बन्ध में बुद्धि सागर सूरि का
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