________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
हरिकलश
पंद्रहवीं सदी
..
[९७
थुण पास खंभाइते थंभणेसो, वड़उ पास भूमीहरे आदि ईसो । नम नेमि सीमंधरो मल्लिम ख्य, दस चउत्रीसे भवणिहि बिब
लक्ष ।।२ . अन्त-इतिय तित्थमाला अति रसाला, पुण्यशाला मणहरा,
भाविहिं गम मिय पुण्य दंसिय, जगि प्रसंसिय जिणवरा, सिरि धम्मसूरिहिं गच्छ भूरिहिं, भत्ति पूरिहिं सुन्दरो, हरिकलसि मुणिरि भावु धरि करि, थुणिय सुपरि सुहकरो ॥१६
प्रति० अभय
(१५६) बागड़ देस तीर्थमाला स्तोत्रम् गा० ११
आदि-जिण नमिय सुमंगल [वागड़ मंडल, भांविहि निमल ते धुणउ।
अरिहंत पराहपुण्य विसाह, लीजइ लाह भव तणउ ॥१ अन्त-इय थुणिय जिणिंदा उत्तरा देस इंदा, गिरिपुर नगरत्था जे मया
दिट्ट तित्था । जिकिवि पुण अदिट्ठा जे तिलोए गरिहा, वर जिणहर वंदे तेवि
भावेण वंदे ।।११ प्रति० अभय.
(१५७) दिल्ली मेवाति देश चैत्य परिपाटी गा० १३.
मादि-जिण नमिय सुमंगल उत्तर मंडल, भाविहिं निम्मल ते शुणउ ।
For Private and Personal Use Only