________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
A स्थविरावली
कल्पसूत्रं कल्पलता व्या०८ ॥२१५॥
॥१॥ से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ-समणस्स भगवओ महावीरस्स नव गणा, इक्कारस गणहरा हत्था ? ॥२॥ समणस्स भगवओ महावीरस्स जिट्रे इंदभई अणगारे गोयमगुत्ते णं पंच समणसयाई वाएइ, मज्झिमए अग्गिभूई अणगारे गोयमगुत्ते णं पंच समणसयाई वाएइ, कणीअसे अणगारे वाउभूई गोयमगुत्ते णं पंच समणसयाइं वाएइ, थेरे अजवियत्ते भारद्दाए गुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे अज्जसुहम्मे अग्गिवेसायणे गुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे मंडियपुत्ते वासिटे गुत्तेणं अछुट्टाइं समणसयाइं वाएइ, थेरे मोरिअपुत्ते कासवे गुत्तेणं अद्भुट्ठाई समणसयाई वाएइ, थेरे अकंपिए गोयमे गुत्तेणं-थेरे अयलभाया हारिआयणे गुत्तेणं, पत्तेयं एते दुण्णिवि थेरा तिण्णि तिपिण समणसयाई वाएंति, थेरे अजमेइजे-थेरे अजपभासे, एए दुपिणवि थेरा कोडिन्नागुत्तेणं तिण्णि तिणि समणसयाई वाएंति । से तेणट्रेणं अज्जो! एवं वुच्चह-समणस्स भगवओ महावीरस्स नव गणा, इक्कारस गणहरा हत्था ॥३॥ सवेऽविणं एते समणस्स भगवओ महावीरस्स एक्कारसवि गणहरा
1॥२१५॥
For Private and Personal Use Only