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कल्पसूत्रं कल्पलता व्या०५
भगवतः कौटुम्बिकनामानि
॥१२१॥
अथ भगवतः पितृप्रमुखकुटुम्बस्य नामानि प्राह, तत्राहसमणस्स णं भगवओ महावीरस्स पिआ कासवगुत्ते णं, तस्स णं तओ नामधिज्जा एवमाहिजंति, तं जहा-सिद्धत्थे इ वा, सिज्जंसे इ वा, जसंसे इ वा ॥ समणस्स णं भगवओ महाबीरस्स माया वासिट्ठी गुत्तेणं तीसे तओ नामधिजा एवमाहिजंति, तं जहा-तिसला इ वा, विदेहदिन्ना इ वा, पीइकारिणी इ वा ॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स पितिज्जे सुपासे, जिट्टे भाया नंदिवद्धणे, भगिणी सुदंसणा, भारिया जसोआ कोडिन्ना गुप्तेणं ॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स धूआ कासवी गुत्तेणं, तीसे दो नामधिज्जा एवमाहिजंति, तं जहा-अणोज्जा इ वा, पियदसणा इ वा ॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स नतुई कोसिअ (कासव) गुत्तेणं, तीसे णं दुवे नामधिज्जा एवमाहिज्जति, तं जहा-सेसवई - इ वा, जसवई इ वा ॥ १०९ ॥ व्याख्या-"समणरस णं भगवओं" भगवतः पिता काश्यपगोत्रीयः, तस्य त्रीणि नामानि-सिद्धार्थः १,
॥१२१॥
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