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श्रमण सूक्त
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सोच्चाण मेहावि सुभासिय इम. अणुसासणं नाणगुणोववेय ।
मग्गं कुसीलाण जहाय सव्वं महानियंठाण वए पहेणं ।
(उत्त २० : ५१ )
मेघावी पुरुष इस सुभाषित, ज्ञान-गुण से युक्त अनुशासन को सुनकर कुशील व्यक्तियों के सारे मार्ग को छोडकर महानिर्ग्रन्थ के मार्ग से चले ।
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