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श्रमण सूक्त
श्रमण सूक्त
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जहा सा नईण पवरा
सलिला सागरगमा। सीया नीलवतपवहा एव हवइ बहुस्सुए।।
(उत्त ११
२८)
जिस प्रकार नीलवान् पर्वत से निकलकर समुद्र मे मिलने वाली शीता नदी शेष नदियो मे श्रेष्ठ है, उसी प्रकार बहुश्रुत सब साधुओ मे श्रेष्ठ होता है।
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